उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र में निजीकरण का सरकारी एलान हुआ था. मगर अब सरकार ने यू-टर्न ले लिया है. गुरुवार को सरकार ने बिजली कर्मचारियों की मांगों को मानते हुए अपना फैसला वापस ले लिया है. इसी के साथ बिजली कर्मचारियों ने भी जारी आंदोलन को वापस ले लिया. प्रमुख सचिव ऊर्जा और संघर्ष समिति के बीच आठ घंटे तक चली वार्ता के बाद लिखित समझौता हुआ. जिसमें सरकार ने कर्मचारियों की मांगे मान ली. उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा की मौजूदगी में पावर कॉरपोरेशन प्रबन्धन से हुई बातचीत के बाद लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. समझौते पर प्रबंधन की ओर से प्रमुख सचिव (ऊर्जा) एवम् अध्यक्ष उप्र पावर कॉरपोरेशन लि. आलोक कुमार, प्रबन्ध निदेशक अपर्णा यू और निदेशक कार्मिक एसपी पाण्डेय ने हस्ताक्षर किए. 1- सात जनपदों रायबरेली, कन्नौज, इटावा, उरई, मऊ, बलिया और सहारनपुर के निजीकरण के लिए जारी टेंडर वापस ले लिए गए हैं. 2- कर्मचारियों और अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना उप्र में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा. 3- उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही सुधार के लिए कर्मचारियों और अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्रवाई की जाएगी. 4- अन्य लम्बित समस्याओं का द्विपक्षीय वार्ता द्वारा समाधान किया जाएगा. 5- वर्तमान आंदोलन के कारण किसी भी कर्मचारी और अभियन्ता के विरुद्ध किसी भी प्रकार के उत्पीड़न की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. वहीं संघर्ष समिति की ओर से शैलेन्द्र दुबे, राजीव सिंह, जीके मिश्रा, ए के सिंह, गिरीश पाण्डेय, सदरूद्दीन राना, सुहैल आबिद, विपिन प्रकाश वर्मा, राजेन्द्र घिल्डियाल, परशुराम, पी एन राय, पूसे लाल, ए के श्रीवास्तव, महेन्द्र राय, शशिकान्त श्रीवास्तव, करतार प्रसाद, राम प्रकाश, जटाशंकर मिश्र, अंकुर भारद्वाज, संदीप अग्रवाल, ओपी सिंह, अजय द्विवेदी, शशांक चैधरी, राहुल सिंह, के एस रावत, पी एन तिवारी, आर एस वर्मा, डीके मिश्रा, पवन श्रीवास्तव, शम्भू रत्न दीक्षित, कुलेन्द्र प्रताप सिंह, मो इलियास ने हस्ताक्षर किए. बिजली कंपनी ने इतना राजस्व बटोर कर बनाया रिकॉर्ड यूपी में बिजली वितरण अब निजी हाथों में प्रदेश में इंदौर सबसे ज्यादा बिजली खपत करने वाला शहर