बीते 6 दिसंबर को बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर की पुण्यतिथि है। वहीं इस मौके पर तमिलनाडु में भी कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी के साथ इस अवसर पर तंजावुर में भगवा वस्त्र पहने बाबा साहेब का एक पोस्टर दिखाई दिया, जिसको लेकर विवाद गहरा गया है। इस पोस्टर की तस्वीर में आम्बेडकर के माथे पर तिलक लगा हुआ भी दिख रहा है। आपको बता दें कि इस पोस्टर को विवाद खड़ा हो गया है और इसको लेकर हिंदू समर्थक संगठन और दलित समूह विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) के बीच झड़प हो गई। बहन पर निगरानी रखने वाले युवक से बात करने गए भाई को आरोपी ने उतार दिया मौत के घाट वहीं इसके बाद इंदु मक्कल काची के एक पदाधिकारी गुरुमूर्ति को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इस दौरान दोनों संगठनों के सदस्य आम्बेडकर की पहचान को लेकर सड़कों पर उतर आए। इस दौरान हिंदू समूह ने कहा कि अंबेडकर सभी भारतीयों के लिए समान थे। वहीं इंदु मक्कल काची के संस्थापक अर्जुन संपत ने कहा कि अंबेडकर को एक हिंदू के रूप में चित्रित करने में कुछ भी गलत नहीं है। वह किसी एक धर्म तक सीमित नहीं हैं। इसी के साथ संपत ने कहा कि बौद्ध धर्म अपनाने से पहले आम्बेडकर भगवा-प्रेमी थे। जागरूकता पैदा करने के लिए पोस्टरों में आम्बेडकर का भगवाकरण किया गया है। इसके अलावा विदुथलाई चिरुथिगल काची के नेता और सांसद तोलकप्पियन थिरुमावलवन ने आम्बेडकर के भगवाकरण की निंदा की और कहा कि उन्होंने हिंदू धर्म छोड़ दिया था और अपनी अंतिम सांस तक ब्राह्मणवादी वर्चस्व का विरोध किया था। 'वो मुझे श्रद्धा की तरह मार देता', मशहूर एक्ट्रेस ने खोला अपने एक्स-बॉयफ्रेंड काम चौकाने वाला राज सऊदी अरब के इस क्लब से खेल सकते है रोनाल्डो, मिलेंगे इतने करोड़ 'कोई भूखा नहीं सोए, केंद्र सरकार की जवाबदारी': सुप्रीम कोर्ट