मिर्गी की बीमारी में करे राई का इस्तेमाल

राई की गिनती सरसों की जाति में होती है. इसका दाना छोटा व काला होता है. राई का प्रमुख गुण पाचक होता है. राइ के अधिक प्रयोग से उलटी हो सकती है इसलियर राइ का प्रयोग सीमित मात्रा में हे करना चाहिए .

राई के फायदे -

1-हैजे में राई को पीस कर पेट पर लेप करने से पेट दर्द  व मरोड़ में आराम मिलता है.

2-मिर्गी में आने वाली मूर्च्छा में मात्र राई पीस कर सूंघाने से फायदा होता है.

3-इसकी पुल्टिस बना कर दर्द वाली जगह पर सेंक किया जाए तो तुरंत राहत मिलती है.

4-पेट के कीड़े इसका पानी पीने से मर जाते हैं.

6-इसे पीस कर शहद में मिलाकर सूंघने से जुकाम में आराम मिलता है.

7-राई के तेल में बारीक नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया रोग का नाश होता है.

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