टॉयलेट जाना हर इंसान के डेली रूटीन का सबसे जरुरी काम होता है. दिनभर में करीब छह से सात बार तो आप सभी भी टॉयलेट जाते ही होंगे और लाज़मी-सी बात है जब आप टॉयलेट जाते होंगे तो वहां लगे फ्लश का भी यूज़ तो करते होंगे. लेकिन क्या कभी आपने टॉयलेट में लगे उस फ्लश को गौर से देखा है? शायद नहीं देखा हो या अगर देखा भी हो तो आपको उस फ्लश में दो बटन दिखे होँगे एक छोटा और एक बड़ा. लेकिन क्या आपको है कि इस बड़े और छोटे बटन में क्या अंतर है? नहीं पता ना तो चलिए आज हम आपको टॉयलेट फ्लश लगे इस बड़े और छोटे बटन के यूज़ के बारे में बता ही देते हैं. इसे ड्यूल फ्लश आईडिया कहा जाता है. इन दोनों ही बटन का उपयोग अलग-अलग कामों के लिए होता हैं. आप सभी भी कई बार दोनों बटन साथ में या कोई-सा भी बटन दबाकर निकल जाते हैं. पर एक बात आपको शायद ही पता होगी कि हर बार कोई-सा भी बटन दबाकर निकल जाने से बड़ा नुकसान होता हैं. दरअसल टॉयलेट फ्लश में लगा बड़ा बटन ज्यादा पानी और छोटा बटन कम पानी के लिए उपयोग किया जाता है. ये आईडिया अमेरिका के रहने वाले इंडस्ट्रियलिस्ट डिजाइनर विक्टर पापानेक का था जिन्होंने साल 1976 में लिखी अपनी किताब डिजाइन फॉर द रियल वर्ल्ड में फ्लश के दो बटन का जिक्र किया था. इन दोनों ही बटन के दो अलग-अलग एक्जिट वॉल्व होते हैं और दोनों ही बटन के पानी का लेवल अलग-अलग होता है. फ्लश में लगा छोटा बटन लिक्विड वेस्ट और बड़ा बटन सॉलिड वेस्ट को फ्लश करने के उपयोग में लिया जाता है. अगर लोग इन दोनों ही बटन का उपयोग सही तरीके से करे तो इससे एक साल में करीब 20 हज़ार लीटर तक पानी बचाया जा सकता हैं. तो अब आप भी जब टॉयलेट जाए तो छोटे और बड़े बटन का उपयोग सही समय पर ही कीजिये ताकि इससे पानी की बचत हो सके. Video : बच्चों को 'गुड टच' और 'बैड टच' के बारे में ऐसे समझाएं महिलाओं के बालों का यह विज्ञापन अमेरिका में बना हुआ है बहस का मुद्दा 9 कैमरे वाला यह फोन बाजारों में हलचल मचा रहा है