हर हिन्दू महीने के मुताबिक शुक्ल पक्ष के आखिरी दिन यानि 15 वे दिन को पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है. शास्त्रों की मानें तो धन की देवी लक्ष्मी माता को पूर्णिमा का दिन सबसे ज्यादा प्रिय है. पूर्णिमा के दिन जिस किसी ने भी माता लक्ष्मी को प्रसन्न कर लिया, उस पर लक्ष्मी मां की विशेष कृपा बरसती है. 1 – कहा जाता है कि हर महीने की पूर्णिमा को सुबह के वक्त पीपल के वृक्ष पर माता लक्ष्मी का आगमन होता है. इस दिन अपने नित्य कर्मों से निवृत्त होकर जो भी इंसान पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा रखकर, जल अर्पित करता है और धूप-दीप और अगरबत्ती से मां लक्ष्मी की पूजा करता है उसपर मां लक्ष्मी की खास कृपा होती है. 2 – पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें. अगले दिन सुबह इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें. इस तरह से हर पूर्णिमा के दिन इन कौड़ियों को अपनी तिजोरी से निकालकर माता के सामने रखें, उनपर फिर से हल्दी से तिलक करें फिर अगले दिन उन्हें लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें. 3 – हर पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी के मंदिर में जाकर, उन्हें इत्र और सुगंधित अगरबत्ती अर्पित करना चाहिए. इत्र अर्पित करने के बाद अगरबत्ती जलाकर माता लक्ष्मी से अपने घर में स्थायी रुप से निवास करने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए. 4 – सुख, ऐश्वर्य और धन-संपत्ति की कामना करने वाले हर इंसान को घर के मंदिर में श्री यंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, कुबेर यंत्र, एकाक्षी नारियल, दक्षिणावर्ती शंख जैसी माता को अतिप्रिय वस्तुओं को रखना चाहिए. नवग्रह दोष को मिटाता है माँ दुर्गा का नवार्ण मन्त्र