शनिदेव को कर्म का दंडाधिकारी माना जाता हैं. गलती जाने में हुई हो या अनजाने में, दण्ड तो भोगना ही पड़ेगा.कहते हैं जिस व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती हो या फिर कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव के कारण किसी रोग से पीड़ित है अगर वे इन उपायों को आजमाते हैं तो उसे शनिदेव की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. 1-दोनों समय भोजन में काला नमक और काली मिर्च का प्रयोग करें. 2-शनिवार के दिन बंदरों को भुने हुए चने खिलाएं और मीठी रोटी पर तेल लगाकर काले कुत्ते को खाने को दें. 3-यदि शनि की अशुभ दशा चल रही हो तो मांस-मदिरा का सेवन न करें. 4-प्रतिदिन पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र ऊं नमः शिवाय का जाप करें शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है. 5-घर के किसी अंधेरे भाग में किसी लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें तांबे का सिक्का डालकर रखें. 6-शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए शनिवार के दिन काली गाय की सेवा करें. पहली रोटी उसे खिलाएं, सिंदूर का तिलक लगाएं, सींग में मौली (कलावा या रक्षासूत्र) बांधे और फिर मोतीचूर के लड्डू खिलाकर उसके चरण स्पर्श करें. 7-प्रत्येक शनिवार को वट और पीपल वृक्ष के नीचे सूर्योदय से पूर्व कड़वे तेल का दीपक जलाकर शुद्ध कच्चा दूध एवं धूप अर्पित करें. क्या आप भी है शनि की साढ़ेसाती से परेशान नीले रंग के फूलो से करे शनिदेव को प्रसन्न