मशहूर संगीतकार विलायत खाँ का जन्म 1928 में गौरीपुर में एक संगीतज्ञ परिवार में हुआ था। पिता, प्रख्यात सितार वादक उस्ताद इनायत हुसैन ख़ाँ, की जल्दी मौत के बाद उन्होंने अपने नाना और मामा से सितार बजाना सीखा। आठ वर्ष की उम्र में पहली बार उनके सितारवादन की रिकॉर्डिंग हुई। उन्होंने पाँच दशकों से भी अधिक समय तक अपने सितार का जादू बिखेरा। महात्मा गाँधी की भूमि-मोदी का किला, जहां आज होगी कांग्रेस की अहम् बैठक कई देशों में किया संगीत का गायन जानकारी के अनुसार उस्ताद विलायत ख़ाँ की पिछली कई पुश्तें सितार से जुड़ी रहीं और उनके पिता इनायत हुसैन ख़ाँ से पहले उस्ताद इमदाद हुसैन ख़ाँ भी जाने-माने सितारवादक रहे थे। उस्ताद विलायत ख़ाँ के दोनों बेटे, सुजात हुसैन ख़ाँ और हिदायत ख़ाँ भी तथा उनके भाई इमरात हुसैन ख़ाँ और भतीजे रईस ख़ाँ भी जाने माने सितार वादक हैं। वे संभवतः भारत के पहले संगीतकार थे जिन्होंने भारत की आज़ादी के बाद इंग्लैंड जाकर संगीत पेश किया था। गुजरात में चल रही कांग्रेस की अहम् बैठक, वहीं महाराष्ट्र में पार्टी को लगा बड़ा झटका कई सम्मानों से नवाजे गए बताया जा जाता है की विलायत ख़ाँ एक साल में आठ महीने विदेश में बिताया करते थे और न्यूजर्सी उनका दूसरा घर बन चुका था। विलायत ख़ाँ ने सितार वादन की अपनी अलग शैली, गायकी शैली, विकसित की थी जिसमें श्रोताओं पर गायन का अहसास होता था। उनकी कला के सम्मान में राष्ट्रपति फ़ख़रूद्दीन अली अहमद ने उन्हें आफ़ताब-ए-सितार का सम्मान दिया था और ये सम्मान पानेवाले वे एकमात्र सितारवादक थे। 13 मार्च 2004 को उनका देहांत हो गया। उन्हें फेफ़ड़े का कैंसर था जिसके इलाज के लिए वे जसलोक अस्पताल में भर्ती थे। 30 साल का हुआ 'www', गूगल ने बनाया खास डूडल गुजरात में कांग्रेस को एक और झटका, MLA ने इस्तीफा देकर थामा भाजपा का हाथ इस रेस्टोरेंट में आकर कर सकते हैं तोड़फोड़ और निकाल सकते हैं भड़ास