बच्चेदानी में गांठ, जिसे यूटरस फाइब्रॉइड या रसौली भी कहा जाता है, आजकल महिलाओं में एक सामान्य समस्या बन गई है। यह समस्या खराब जीवनशैली, हार्मोनल असंतुलन, मोटापा, और असंतुलित खान-पान के कारण उत्पन्न हो सकती है। ये गांठें गर्भाशय में मटर के दाने से लेकर बड़े आकार तक बन सकती हैं और इनका असर गर्भधारण की क्षमता पर भी पड़ सकता है। आमतौर पर ये गांठें 25-40 वर्ष की उम्र की महिलाओं में पाई जाती हैं। गांठ बनने के कारण: हार्मोनल असंतुलन: एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन मासिक धर्म को नियमित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन हार्मोन की असंतुलित मात्रा, विशेष रूप से हार्मोनल गर्भनिरोधक के उपयोग से, फाइब्रॉइड के विकास को प्रोत्साहित कर सकती है। मोटापा: बढ़ते वजन और मोटापे की वजह से भी गर्भाशय में गांठें बन सकती हैं। मोटापा कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। अनुवांशिकता: कई बार यह समस्या परिवार में अन्य महिलाओं को भी प्रभावित करती है, जिससे यह अनुवांशिक हो सकती है। गांठ बनने के लक्षण: मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव नाभि के नीचे पेट या पीठ के निचले हिस्से में दर्द बार-बार पेशाब आना मासिक धर्म के दौरान असहनीय दर्द राहत देने वाले योगासन: मत्स्येन्द्रासन: यह आसन अग्न्याशय को उत्तेजित करता है, अपच और साइटिका से राहत दिलाने में सहायक है। पश्चिमोत्तानासन: इस आसन से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है और मासिक धर्म की ऐंठन में कमी आती है। सुखासन: सुखासन से शरीर की मुद्रा में सुधार होता है, थकान दूर होती है और छाती की मांसपेशियों को राहत मिलती है। डायाफ्रामिक ब्रीदिंग: यह तकनीक तनाव कम करने, विचारों में स्पष्टता लाने, और आत्म-जागरूकता बढ़ाने में सहायक होती है। सलाह: किसी भी नए व्यायाम को शुरू करने से पहले, विशेषकर अगर आप फाइब्रॉइड जैसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रही हैं, तो विशेषज्ञ की सलाह लेना अनिवार्य है। इन योगासनों और सावधानियों का पालन करके, आप यूटरस फाइब्रॉइड से संबंधित समस्याओं में राहत पा सकती हैं। फेफड़ों को करना है नेचुरली डिटॉक्स, तो अपनाएं ये तरीकें इन 5 तरीकों से करें चावल का इस्तेमाल, चमक उठेगी स्किन सेलिब्रिटीज की तरह चाहिए हेवी दाढ़ी लुक तो फॉलो करें ये रूटीन