महोबा : नोटबन्दी को लागू हुए आज पूरे 38 दिन हो गए लेकिन बैंकिग व्यवस्था अभी तक भी पटरी पर नही आ पाई है.लोग अभी भी बैंकों और एटीएम की कतारों में लगकर अपना ही रुपया पाने के लिए परेशान हो रहे हैं.कतारों में लगे लोगों की मौत होने का सिलसिला अब भी जारी है. अलग- अलग जगहों पर नोटबन्दी के कारण हुई इन मौतों ने लोगों के जन मानस पर नकारात्मक असर डाला है. पहली घटना यूपी के महोबा की ही सामने आई है जहां पनवाड़ी में इलाहाबाद बैंक की शाखा में नकद के लिए कतार में लगे बालादीन (58) की मौत हो गई. बेटे दीन दयाल ने बताया कि वह 14 हजार रुपये खाते से निकालने गए थे. बैंक कर्मियों ने केवल 6 हजार रुपये ही दिए. इस दौरान काउंटर पर ही बालादीन बेहोश होकर गिर गए. जिससे उनकी मौत हो गई.वहीं, सीतापुर के लहरपुर में भी नकद के लिए बैंक की कतार में लगे एक युवक की मौत हो गई. इससे गुस्साए लोगों ने लहरपुर-हरगांव रोड जाम कर दिया.जबकि उधर नवापुर के वीरेंद्र कुमार (37) बीमार होने के बावजूद गुरुवार सुबह बैंक में लाइन में लगे थे. वह अचानक बेहोश होकर गिर गए. जिससे उनकी मौत हो गई. वहीं पिसावां में एसबीआई शाखा में नकद लेने गईं रामकली भी बेहोश हो गईं, उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. जबकि दूसरी ओर संतकबीर नगर में गुरुवार को एसबीआई की बखिरा शाखा में नकद नहीं मिलने से नो कैश का बोर्ड देखकर भड़की महिलाओं ने बैंक का शटर अंदर से गिराकर मैनेजर को उनके चैंबर में ही बंधक बना लिया. पुलिस किसी तरह से बैंक मैनेजर को महिलाओं के चंगुल से छुड़ाकर चौकी पर लाई.महिलाएं भी चुकी पर पहुँच कर हंगामा करने लगी. महिलाओं का आरोप था कि बैंक मैनेजर किशन पाल बैंक को मिलने वाले नकद में से आधा निकालकर अपने पास रख लेते हैं और पिछले दरवाजे से अपने परिचितों को बांट देते हैं. HRD मिनिस्टर की अपील से पटना यूनिवर्सिटी भी अब होगी कैशलेस नोटबंदी से परेशान है, इसलिये फ्री में.