लखनऊ : उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बगावती तेवर दिखा रहे नेताओं को समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया है.ताजा मामला सपा महिला सभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रंजना बाजपेई और पूर्व विधायक डॉ पीके राय सहित नौ नेताओं के निष्कासन का है। इन सभी को कल छह वर्ष के लिए पार्टी से निकाल दिया गया है.राष्ट्रीय अध्यक्ष रंजना बाजपेई पर पार्टी प्रत्याशियों का विरोध करने और दूसरे दलों का प्रचार करने का आरोप है. गौरतलब है कि रंजना बाजपेई के बेटे हर्षवर्धन बाजपेई को भाजपा ने इलाहाबाद उत्तरी सीट से प्रत्याशी बनाया है. इस सीट पर सपा-कांग्रेस गठबंधन से मौजूदा विधायक अनुग्रह नारायण सिंह प्रत्याशी हैं. पार्टी की ओर से स्पष्ट किया गया कि रंजना लगातार भाजपा प्रत्याशी का प्रचार कर रही थीं.बता दें कि रंजना बाजपेई को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता है.उन्होंने ही डॉ.बाजपेई को महिला सभा का अध्यक्ष नियुक्त किया था. परिवार में संग्राम के दौरान वह शिवपाल-मुलायम के साथ खड़ी थीं. सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीन आचरण के चलते रंजना को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है. इससे पहले रंजना कांग्रेस और बसपा में भी रह चुकी है. वहीं उनके बेटे हर्षवर्धन ने पिछले चुनाव में इलाहाबाद उत्तरी सीट से ही बसपा से चुनाव लड़ा था. इनके अलावा पार्टी ने कुशीनगर की सेवरही के पूर्व विधायक डॉ पीके राय को भी छह साल के निष्कासित कर दिया है. गठबंधन ने यह सीट कांग्रेस को दी थी , इसके बाद पीके राय ने बगावत करते हुए चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया. इनके अलावा बागी हुए छह अन्य कार्यकर्ताओं को भी छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है यह भी पढ़ें जब सड़क मार्ग से झांसी पहुंची मायावती नोटबंदी के दौरान बसपा ने जमा की सबसे अधिक राशि