उत्तराखंड में मनमाने तबादलों पर शासन की रोक

शून्य सत्र घोषित होने के बावजूद कुछ विभागों में कार्मिकों के तबादले किए जाने पर शासन ने नोटिस लिया है। शासन ने ऐसे मनमाने तबादलों पर रोक लगा दी है। साथ ही शून्य सत्र के दौरान किए गए सभी तबादलों को अमान्य कर दिया है। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी ने आदेश जारी किए हैं। सभी विभागाध्यक्षों को कार्मिक विभाग के शून्य तबादला सत्र के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने के निर्देश दिए हैं।प्रदेश के सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों, प्रभारी सचिवों, अपर सचिवों, मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों, विभागाध्यक्षों व कार्यालयाध्यक्षों को जारी पत्र में कहा गया है कि कार्मिक विभाग ने 20 मई को वर्ष 2020-21 में वार्षिक स्थानांतरण सत्र को शून्य कर दिया था। 

साथ ही यह व्यवस्था दी थी कि यदि तबादला कानून के तहत किसी अधिकारी व कर्मचारी के तबादला किया जाने की आवश्यकता हो तो उसका एक औचित्यपूर्ण प्रस्ताव  स्थानांतरण समिति को भेजा जाए। समिति उक्त प्रस्ताव पर विचार करेगी।लेकिन विभाग को ऐसी शिकायतें प्राप्त हुईं कि कई विभागों ने शून्य तबादला सत्र घोषित होने के बावजूद अधिकारियों व कर्मचारियों के मनमर्जी से तबादले कर दिए। इसमें कार्मिक विभाग की सहमति तक लेने की जरूरत नहीं समझी गई। कार्मिक विभाग ने इसे शासनादेश का उल्लंघन माना है। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें की कार्मिक विभाग ने यह भी पाया कि कुछ विभागों में तबादला कानून के प्रावधानों की मनमाने ढंग से व्याख्या करते हुए शून्य सत्र में तबादले किए जा रहे हैं।विभाग ने स्पष्ट किया कि कोई भी विभाग शून्य सत्र में अधिनियम की धारा 21(3) के तहत तबादला नहीं कर सकता। विभाग ने साफ किया कि तबादला अधिनियम के तहत अधिकारी, कर्मचारी का तबादला या विभागीय कठिनाइयों के निदान के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित तबादला समिति को औचित्यपूर्ण प्रस्ताव दिए जाएं। स्थानांतरण समिति की सिफारिश प्राप्त किए बिना किए गए सभी तबादले अमान्य माने जाएंगे।

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