देहरादून: रिटायर्ड हो चुके अफसरों तथा कर्मचारियों को फिर से डिपार्टमेंटों में तैनाती करने अथवा कॉन्ट्रेक्ट पर रखने पर शासन ने सशर्त पाबंदी लगा दी है. कहीं यदि तैनाती देनी भी है, तो संबंधित डिपार्टमेंट को यह लिखकर देना होगा कि डिपार्टमेंट में पद को धारण करने वाला कोई योग्य शख्स नहीं है. पदोन्नति में इस प्रकार के सर्टिफिकेट को भी परखा जाएगा, तथा इस प्रकार के अक्षम अफसरों की आवश्यक रिटायरमेंट पर भी विचार किया जाएगा. चीफ सेक्रेटरी ओम प्रकाश की तरफ से जारी आदेश के अनुसार, डिपार्टमेंटों में पुर्ननियुक्त किए गए अफसर छह महीने से लेकर एक वर्ष के भीतर-भीतर डिपार्टमेंट के अन्य अफसरों को प्रशिक्षित करेंगे. जिन डिपार्टमेंटों में सेवानिवृत्ति उम्र 62 साल से ज्यादा है, वहां किसी भी हालत में पुनर्नियुक्ति नहीं की जाएगी. चीफ सेक्रेटरी ने यह भी कहा है कि कार्मिक तथा सर्तकता डिपार्टमेंट की अनुमति के बिना की गई पुनर्नियुक्ति को गंभीर कदाचार माना जाएगा, तथा ऐेसे केसों में पुर्ननियुक्त अफसर की सैलरी रोक दी जाएगी. वही 2013 में पुनर्नियुक्ति को लेकर निर्देश जारी किए गए थे. इसके बाद भी अत्यधिक भरकम ढांचा होते हुए भी कई डिपार्टमेंटों में पुनर्नियुक्ति की रीत बन गई है. कार्मिक की दिक्कत यह है कि कार्मिक और सतर्कता डिपार्टमेंट पुनर्नियुक्ति के प्रस्ताव को खारिज कर देता है तो संबंधित डिपार्टमेंट मुख्यमंत्री से अनुमोदन कराकर तैनाती दे रहे हैं. कई केसों में तो चार अथवा पांच या इससे भी ज्यादा कार्मिकों को इस प्रकार से पुनर्नियुक्ति दी जा रही है. इसी के साथ अब रिटायरमेंट के पश्चात् तैनाती नहीं होगी. एल्गर परिषद मामला में पुलिस ने तीन और लोगों को किया गिरफ्तार भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने केसीआर पर साधा निशाना तेलंगाना सरकार ने पीवी नरसिंह राव को भारत रत्न प्रदान करने का लिया संकल्प