देहरादून: पिछले कुछ समय का घटनाक्रम से पता चला है कि कांग्रेस के अंदरूनी स्तर पर खासी खींचतान है. अभी तक प्रदेश में कांग्रेसी दिग्गज टी 20 की तरह खास मौकों पर खींचतान का यह मैच खेलते आए हैं. जंहा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह अब अपनी नई टीम को मैदान में उतारने की कोशिश में जुटे हैं और यह कोशिश ही कांग्रेस में नए मैच का सबब भी बन रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बात का पता चला है कि देश में विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व में हुए बदलाव ने इस खींचतान की पटकथा भी लिख दी थी. सत्ता किशोर उपाध्याय के हाथ से निकल कर चकराता विधायक प्रीतम सिंह के हाथ में पहुंची तो कांग्रेस नेताओें के बीच नई संधि उभर आई. प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष और हल्द्वानी विधायक इंदिरा हृदयेश का समर्थन मिला है. पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय अपनी अलग राह बनाने की खामोशी से कोशिश कर रहे हैं. कई मामलों में घिरे पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत अपनी स्थिति को लेकर संतुष्ट होने की कोशिश में अलग राह पर हैं. कांग्रेस की भारत बचाओ, संविधान बचाओ रैली में सामने आई कड़वाहट: आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि कांग्रेस में इन ध्रुवों के उभरने का संकेत पिछले कुछ समय के घटनाक्रम से भी मिला है. पिथौरागढ़ उप चुनाव से लेकर रुड़की नगर निगम के चुनाव में प्रत्याशी चयन में प्रीतम और इंदिरा की खासी सक्रियता रही. पिथौरागढ़ में मयूख महर को मनाने का मामला सामने आया तो हरीश रावत मुखर हो गए. तीन धड़ों की यह टकराहट कांग्रेस की भारत बचाओ, संविधान बचाओ रैली में खुलकर सामने आई. किशोर और हरीश रावत के फोटो और बैनर गायब रहने को लेकर इन नेताओं के समर्थक अंदरखाने उलझे. कुछ हाईकमान का डर रहा कि यह टकराहट खुलकर सामने नहीं आई. किस तरह से हटाया जा सकता है ट्रम्प को राष्‍ट्रपति पद से, जाने क्‍या है संख्‍या का बड़ा खेल पाक के पूर्व पीएम से आज मुलाकात करेंगी राजदूत मलीहा लोधी Delhi assembly election 2020: जेपी अग्रवाल का बड़ा बयान, बोले- पहले नंबर पर रहेगी कांग्रेस