लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई पर असर ना पड़े इसलिए कई प्राइवेट और सरकारी स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की है। इसमें बच्चों का कोर्स पूरा कराने के साथ ही डाउट भी क्लियर कराए जा रहे हैं। लेकिन अभिभावकों को यह व्यवस्था बहुत ज्यादा रास नहीं आ रही है।अधिकतर अभिभावक इसे खुद के लिए एक नई परेशानी मान रहे हैं। उनका कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर अभिभावकों पर ही पढ़ाने का जिम्मा डाल दिया गया है। इसमें शिक्षकों के पास भी इतना वक्त नहीं रह गया कि वह हर बच्चे से अलग-अलग बात कर सकें। इसके अलावा उन अभिभावकों के सामने भी दिक्कत है, जिनके एक से ज्यादा बच्चे हैं। इसके अलावा कुछ अभिभावकों का कहना है कि उनका पूरा दिन बच्चे का होमवर्क कराने में ही गुजर जा रहा है। दूसरी ओर, सरकार की सख्ती के बाद प्राइवेट स्कूल फीस के लिए फिलहाल दबाव नहीं बना रहे हैं। इससे अभिभावकों को कुछ राहत मिली है। बड़े स्कूलों की तर्ज पर कुछ छोटे स्कूलों ने भी मोबाइल ऐप बनाये हैं। लेकिन, ये बच्चों के लिए ज्यादा कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। बच्चों को इनसे बहुत ज्यादा हेल्प नहीं मिल रही है। बंजारावाला निवासी सोनिका मिश्रा की बेटी कक्षा एक में पढ़ती है। उन्होंने बताया कि स्कूल ने ऐप बनाया, जिसे उन्होंने डाउनलोड भी कर लिया। लेकिन, इससे कोई फायदा नहीं हुआ।अब टीचर एक अध्याय विशेष की वीडियो बनाकर व्हाट्सएप पर शेयर करती है। ताकि, इसे देखकर सभी अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ा सकें। इसके साथ ही अब सवाल ये कि वीडियो भेजना था तो ऐप बनाने की जरूरत क्या है। और अगर अभिभावकों को ही सब काम कराने हैं तो वीडियो बनाकर शेयर कर अपना और हमारा इंटरनेट डाटा क्यों खत्म किया जा रहा है।स्कूल में एक ऐप उपलब्ध कराया है जिस पर होमवर्क प्रैक्टिस शीट, वर्कशीट सब कुछ भेजी जाती है। टीचर ऑनलाइन वीडियो के जरिए भी बच्चों को समझाने की कोशिश करते हैं। उसके बाद भी अगर कोई दिक्कत रहे तो सीधे फोन पर भी बात कर सकते हैं। लेकिन घर पर स्कूल जैसा माहौल नहीं बन पा रहा है। बच्चे घर पर बहुत ज्यादा पढ़ने को तैयार नहीं होते। मात्र 100 रुपये की बचत बन जाएगी 54.47 लाख की रकम, रिटायरमेंट में नहीं रहेगी चिंता दक्षिण कश्मीर में सुरक्षाबलों की मुठभेड़, सेना ने दो आतंकी किए ढेर चीन ने कोरोना मृतकों के आंकड़े में किया बड़ा बदलाव, क्या पहले कहा था झूठ ?