देहरादून: 4 माह के पश्चात् उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव की राजनीतिक बिसात बिछाई जाने लगी है। पंजाब के पश्चात् कांग्रेस ने उत्तराखंड में भी दलित मुख्यमंत्री बनाने का दांव चला है, जिससे भारतीय जनता पार्टी में भी बेचैनी बढ़ गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के घर पर जाकर ब्रेकफास्‍ट करना भी भारतीय जनता पार्टी के काम नहीं आ सका। सोमवार को सूबे में दलित चेहरा माने माने जाने वाले यशपाल आर्य अपने बेटे MLA के साथ कांग्रेस में घर वापसी कर गए, जो भारतीय जनता पार्टी के लिए 2022 के चुनाव से पहले बड़ा झटका माना जा रहा है। वही पुष्कर सिंह धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य तथा उनके बेटे संजीव आर्य भारतीय जनता पार्टी छोड़कर सोमवार को कांग्रेस में सम्मिलित हो गए हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात के पश्चात् दोनों नेताओं ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है। बता दें कि दोनों नेता वर्ष 2017 में कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित हुए थे, मगर अब 2022 चुनाव से ठीक पहले दोनों नेताओं ने फिर से घर वापसी कर ली। वही उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे तथा 6 बार के MLA यशपाल आर्य दलित समुदाय से आते हैं। सूबे की दलित सियासत पर मजबूत पकड़ रखने वाले यशपाल की छवि शांत तथा सादगी वाले नेता की है। यशपाल आर्य की कुमाऊं इलाके में अच्छी पकड़ है। उत्तराखंड में कांग्रेस में दलित चेहरों की कमी भी है। कांग्रेस के भीतर प्रमुख दलित चेहरों में सांसद प्रदीप टम्टा तथा कार्यकारी अध्यक्ष प्रो जीतराम हैं। ऐसे में हरीश रावत ने दलित कार्ड का दांव खेलकर यशपाल आर्य को अपने खेमे में मिलाने का दांव चला है। भरे लॉकडाउन में मनी ईद, शराब के ठेके भी चालु... फिर केजरीवाल ने 'छठ पूजा' पर क्यों लगाया प्रतिबन्ध? पंजाब में AAP का चुनावी शंखनाद, आज से केजरीवाल का दो दिवसीय दौरा अलेक्जेंडर शालेनबर्ग ने ऑस्ट्रिया के चांसलर के रूप में संभाला कार्यभार