देहरादून: हाल ही में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए नए साल में सरकार उद्योगों से मदद लेगी. जंहा अभी तक सरकार स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण आदि में ही उद्योगों से मदद लेती रही है. मौसम के बदलाव के कारण प्रदेश को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. अत्यधिक बारिश और बेमौसम बारिश की वजह से खेती किसानी से लेकर सड़क, अन्य निर्माण आदि पर भी फर्क पड़ रहा है. आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से हाल ही में किए गए एक शोध के मुताबिक प्रदेश में सरकारी भवनों को भूकंप के झटकों को सहन करने योग्य बनाने के लिए ही करीब 2800 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. सूत्रों का कहना है कि इस स्थिति को देखते हुए अब प्रदेश सरकार सामाजिक उत्तरदायित्व (CRS) के तहत उद्योगों से सहायता कि उम्मीद है. जिसके लिए जरूरी हुआ तो सीएसआर अधिनियम में भी बदलाव किया जा सकता है. वहीं वित्त सचिव अमित नेगी के मुताबिक शासन की ओर से इस मामले में आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. कोशिश होगी की जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए नए प्रयोगों को आगे बढ़ाने में सामाजिक उत्तरदायित्व फंड का उपयोग किया जाए. 783 लाख की मदद, सबसे कम सीएसआर पर्यावरण संरक्षण में: वहीं इस बात कि जानकारी मिली है कि प्रदेश को करीब 783 लाख रुपये की सहायता से सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत अभी तक मदद मिली है. वहीं इससे सबसे अधिक मदद स्वास्थ्य (486 लाख रुपये) के क्षेत्र में है. इसके अलावा शिक्षा और आजीविका में 213 लाख रुपये, पर्यावरण, पशुपालन और संरक्षण में एक करोड़, ग्राम्य विकास में 22 लाख, तकनीकी क्षेत्र में 54 लाख रुपये की मदद मिली है. यह बात तो एक दम साफ है कि सरकार को सबसे कम मदद पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में ही कंपनियों से मिल रही है. हिमाचल के नए मुख्य सचिव बने अनिल कुमार खाची एक और सड़क घोटाला आया सामने, कई अधिकारी और ठेकेदार पर होगी कार्यवाही मध्य प्रदेश मंत्री गोविन्द सिंह का आरोप, कहा- लूटने में तो महमूद गजनवी के 'दादा' है भाजपा नेता