देहरादून: उत्तराखंड के जोशीमठ में असुरक्षित घरों को ढहाए जाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस बीच, सरकार ने आपदा पीड़ितों को मदद पहुंचानी आरंभ कर दी है। अब तक 53 प्रभावित परिवारों को 5000 रुपये हर परिवार के हिसाब से मदद दी गई है। वहीं, 10 क्षतिग्रस्त भवनों के प्रभावितों को प्रति भवन 1.30 लाख के हिसाब से आर्थिक मदद दी गई है। इसके साथ ही प्रभावित परिवारों को उनकी आवश्यकतानुसार खाद्यान किट और कंबल भी बांटे गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अब तक कुल 70 खाद्यान्न किट औप 70 कम्बल पीड़ितों को प्रदान किए गए हैं। साथ ही 570 लीटर दूध प्रभावितों के बीच वितरित किया गया है। वहीं, कुल 80 प्रभावित लोगों की मेडिकल जांच की गई है। बताया जा रहा है कि भू-धंसाव की वजह से जोशीमठ क्षेत्र में कुल 723 भवनों में दरारें आ चुकी हैं। सुरक्षा के मद्देनज़र 131 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित कर दिया गया है। इस बीच गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDRF) के अधिकारियों ने जोशीमठ की स्थिति के संबंध में जानने के लिए उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की और सब्सिडेंस जोन (प्रभावित क्षेत्र) में भूमिगत जल जमाव के स्थान का पता लगाने की आवश्यकता पर जोर दिया। माना जा रहा है कि भूमि के नीचे पानी जहां जमा हुआ है, वह इलाका जोशीमठ में है, मगर अभी पानी के स्रोत का पता नहीं चल सका है। अधिकारियों के केंद्रीय दल ने बताया है कि प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए पहचाने गए क्षेत्रों का भी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने सोमवार (9 जनवरी) को पत्रकारों को बताया कि इस मुद्दे को हल करने के लिए संबंधित सभी संस्थानों के वैज्ञानिकों की सहायता ली जाएगी और राज्य सरकार को केंद्र की तरफ से हर संभव मदद दी जाएगी। चिराग पासवान को Z केटेगरी सुरक्षा, खुफिया विभाग की रिपोर्ट पर केंद्र का फैसला कैलाश सत्यार्थी: 144 देशों में चलाया 'बचपन बचाओ आंदोलन', मिला शान्ति का नोबेल पुरस्कार पुण्यतिथि: लाल बहादुर शास्त्री की मौत हुई थी या फिर 'हत्या' ?