देहरादून। साल 2013 में भारी बारिश और भूस्खलन की गंभीर त्रासदी को झेल चुके उत्तराखंड के सर पर अब फिर खतरा मंडराने लगा है। इसे लेकर वैज्ञानिकों ने राज्य सरकार को चेतावनी भी जारी कर दी है। दरअसल इस बार यह खतरा उत्‍तराखंड में भारत और तिब्बत सीमा पर स्थित एक झील की वजह से है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस झील का आकार पिछले 18 वर्षों में लगातार बढ़ता जा रहा है और यह कभी भी फट सकती है। दो ग्लेशियरों के मुहाने पर स्थित यह झील अगर फटेगी तो ये भारी तबाही ला सकती है जो 2013 में आई तबाही से भी ज्यादा भीषण हो सकती है। उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इस झील और उससे जुड़े सभी तरह के खतरों का अध्ययन कर प्रारंभिक रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है। बाढ़ और बारिश से देश भर में हुई कई मौतें, देश के कई हिस्सों में अभी भी अलर्ट गौरतलब है कि यह झील भारत और तिब्बत सीमा से लगे भारत के अंतिम गांव नीति से मात्र 21 किमी की दूरी पर स्थित है। यह झील डोबालाताल और दो अन्य ग्लेशियरों के मुहाने पर स्थित है जिनका आकार लगातार बढ़ता जा रहा है। इस मामले में पर्यावरण वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह झील टूटी तो अपने साथ टनों मलबा लेकर भारी तबाही को अंजाम दे सकती है। ख़बरें और भी केरल बाढ़: क्या होती है "राष्ट्रीय आपदा" जिसपर हो रहा है इतना हंगामा केंद्र सरकार ने केरल बाढ़ को गंभीर प्राकृतिक आपदा घोषित किया, राष्ट्रीय स्तर पर मिलेगी मदद केरल बाढ़ पर सियासी खेल, कांग्रेस ने की राष्‍ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग इटली के जेनोआ शहर में पुल ढहने से 39 की मौत