नई दिल्ली: भारत में कोरोना की भयावह दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार कोरोनावायरस के नए B.1.617.2 वेरिएंट पर वैक्सीन प्रभावी है, मगर तब जब वैक्सीन की दोनों डोज ली जाए। एक रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोना के B.1.617.2 वेरिएंट के असर को कम करने के लिए सिर्फ एक डोज काफी नहीं है। इस वेरिएंट के प्रभाव को कम करने के लिए वैक्सीन की दोनों डोज लेना आवश्यक है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत को अब टीकाकरण अभियान कवरेज के विस्तार और तेजी पर ध्यान देना चाहिए तथा दो डोज के बीच के समय को बढ़ाने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। यूके के डेटा को पहली बार फाइनेंशियल टाइम्स ने शनिवार को रिपोर्ट किया था। इस डेटा में बताया गया है कि वैक्सीन की एक डोज कोरोना के नए वेरिएंट पर कम असर छोड़ती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वैक्सीन की सिंगल डोज, B.1.617.2 वेरिएंट से होने वाले सिम्टोमैटिक इनंफेक्शन से 33 प्रतिशत प्रोटेक्शन देती है। जबकि B.1.1.7 वेरिएंट से 51 प्रतिशत सुरक्षा देती है। डेटा के अनुसार, जब लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज लगवाई तो इन्फेक्शन से प्रोटेक्शन का डिफरेंस कम होकर 6 प्रतिशत हो गया। यह डेटा यूके में फाइजर-बायोएनटेक तथा ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लेने वाले व्यक्तियों के एक संयुक्त विश्लेषण पर आधारित है। रिसर्च में सामने आया है कि जब व्यक्तियों को वैक्सीन की दोनों डोज दी गईं तो B.1.617.2 वेरिएंट से होने वाले सिम्टोमैटिक इन्फेक्शन से 81 प्रतिशत प्रोटेक्शन, जबकि B.1.1.7 वेरिएंट से 87 प्रतिशत सुरक्षा प्राप्त हुई। चक्रवाती तूफान 'Yaas' को लेकर प्रधानमंत्री मोदी आज करेंगे उच्च स्तरीय मीटिंग नोएडा को को मिला ड्राइव-इन टीकाकरण केंद्र अप्रैल 2021 में भारत में सबसे ज्यादा खरीदी गई एक्टिवा