12 लाख रोज़गार पैदा करेगा वधावन पोर्ट, पीएम मोदी ने कर दिया शिलान्यास

मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 30 अगस्त 2024 को महाराष्ट्र के दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में भाग लिया। इनमें ग्लोबल फिनटेक समिट और वधावन पोर्ट के शिलान्यास का आयोजन प्रमुख था। पालघर जिले के दहानू में बनने वाला वधावन पोर्ट भारत की एक महत्वाकांक्षी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना है, जो देश के समुद्री यातायात को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगी। इस बंदरगाह को सागरमाला परियोजना के तहत विकसित किया जा रहा है और इसके निर्माण पर 76,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी।

भारत का विदेशी व्यापार पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है, जिसके चलते आयात-निर्यात के बढ़ते दबाव को संभालने के लिए नए और बड़े बंदरगाहों की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने वधावन पोर्ट के निर्माण का फैसला किया, जिसे जून 2024 में मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक में मंजूरी दी गई थी। वधावन पोर्ट का निर्माण 17,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में किया जाएगा, जिसमें समुद्र से 1,448 हेक्टेयर जमीन का भी विकास होगा। यह बंदरगाह भारत का 13वां और सबसे बड़ा पोर्ट होगा, जिसमें कुल 9 कंटेनर टर्मिनल होंगे, जिनकी लंबाई 1000 मीटर होगी। इसके अलावा, पोर्ट पर गैस और लिक्विड पदार्थों के लिए अलग से बर्थ बनाई जाएगी, साथ ही तटरक्षक बलों के लिए भी विशेष बर्थ की व्यवस्था होगी। वधावन पोर्ट में एक बड़ा कार्गो भंडारण क्षेत्र भी विकसित किया जाएगा।

इस बंदरगाह की मालवहन क्षमता लगभग 300 मिलियन टन प्रति वर्ष होगी, और यह प्रति वर्ष 2.3 करोड़ से अधिक 25 फीट वाले कंटेनरों को संभाल सकेगा। वधावन पोर्ट के बनने से मुंबई के न्हावा शेवा (JNPT) बंदरगाह पर दबाव कम होगा और यह भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारे का भी महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा। एक बार तैयार होने पर, वधावन पोर्ट विश्व के दस सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक होगा, जबकि अभी मुंद्रा पोर्ट भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह है, जो विश्व में 26वें स्थान पर है।

सरकार को उम्मीद है कि वधावन पोर्ट के कारण लगभग 12 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसके अलावा, बड़ी संख्या में जहाजों के भारत आने से समुद्री भाड़े की कीमतों में कमी आएगी और क्षमता बढ़ने से आर्थिक लाभ भी होंगे। इस पोर्ट के निर्माण से पालघर के इस क्षेत्र का व्यापक विकास होगा, जिससे स्थानीय लोगों के लिए स्वरोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे। परियोजना के निर्माण के दौरान भी बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत पड़ेगी, जिससे रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी।

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