जीवन एक नदी के जैसा है। संभावनाओं की नदी, सफलताओं और असफलताओं की नदी। संभावनाएं इस नदी का पानी है और सफलता वो जगह जहां नदी जाकर सागर हो जाती है। इस नदी का एक निश्चित समय है। जीवन के एक पल में जहां से शुरू होती है वहीं एक पल ऐसा आता है जब ये हमेशा के लिए सुख जाती है। जब हम जन्म लेते है नदी बहना शुरू होती है लेकिन सुखना इसका कड़वा सच है जैसे मृत्यु। जानते हो हम कौन है? हम इस नदी पर वक़्त की नाव में बैठे मुसाफ़िर है। वक़्त की नाव जो इक पल के लिए भी रुकती नहीं, लगतार बहती रहती है। लगातार बहते हुए प्रकृति हमें असंख्य संभावनाओं से सामना कराती है लेकिन हम बेतुके से ख़यालों में भटके हुए लोग संभावनाओं को देख ही नहीं पाते। ये एक बहुत खूबसूरत सफ़र है। इसकी खूबसूरती का ख़याल हम तब ही कर पाएंगे जब दुःखों और परेशानियों के पार देख पाएंगे। जब हम विचार शून्य होकर ढलते हुए सूरज को ध्यान से देखे तो हम ये एहसास कर पाए कि वाकई सबकुछ कितना सुंदर है, रात की देह पर चिपका हुआ चमकीला चाँद, अहा। मैं इसके बारे में इन अनुभवों की खूबसूरती को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। जीवन का आनंद लीजिए। हमारा पैदा होना एक खूबसूरत घटना है। हम किसी मकसद से आए है। हम यहां ऐसे ही नहीं आए है। -पीयूष भालसे रुकिए, कहीं आप जीवन सिर्फ काट तो नहीं रहे? सिनेमाघर में सलमान-शाहरुख की फिल्म देखते-देखते दर्शकों ने फोड़े पटाखे, लग गई भयंकर आग जिसकी न सीमा हो और न कोई उपमा हो, वह ही है "माँ"।