हर साल आने वाली वरुथिनी एकादशी इस साल भी आने वाली है. आप सभी को बता दें कि इस साल वरुथिनी एकादशी 17 अप्रैल को रात्रि 08:07 बजे से आरम्भ होकर 18 अप्रैल को रात 10:19 बजे तक रहने वाली है. ऐसे में इस दिन व्रत एवं पुण्य कार्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. केवल इतना ही नहीं आपको यह भी बता दें कि विशेष रूप से एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और वरुथिनी शब्द संस्कृत के वरुथिन् से बना है जिसका अर्थ है - कवच और यह कवच संकटों के लिए है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत करने वाला व्यक्ति समस्त प्रकार के संकटों से मुक्त हो जाता है. तो आइए जानते हैं वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व और इस व्रत को रखने के लिए सावधानियां. वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व - शास्त्रों के अनुसार वरुथिनी एकादशी को सौभाग्य और पुण्य प्रदान करने वाली एकादशी कहा गया है. कहते हैं इस दिन व्रत करने वालों के सारे पाप और कष्ट मुक्त हो जाते हैं. इसी के साथ वरुथिनी एकादशी व्रत बहुत ही पुण्यदायी होता है. जी दरअसल धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यदि कोई व्यक्ति वरुथिनी एकादशी का व्रत रहता है, वह ब्राह्मण को दान देता है तो उसे लाखों वर्षों तक ध्यान करने और कन्या दान से मिलने वाले पुण्य के समान फल मिलता है. वरुथिनी एकादशी व्रत में रखें सावधानियां - आप सभी को बता दें कि वरुथिनी एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है. इसी के साथ इस दिन व्रती को सच बोलना चाहिए और इस दिन क्रोध न करें और न तो शारीरिक संबंध बनाएं. इसी के साथ इस दिन चावल भी नहीं खाने चाहिए. शीतला अष्टमी के दिन जरूर सुने यह कथा शीतला अष्टमी पर इस विधि से करें पूजन 15 अप्रैल को है शीतला अष्टमी, जानिए माँ का स्वरूप