ईश्वर की प्रतिमा को कभी भी मंदिर में या घर के किसी अन्य जगह पर इस तरह नहीं रखना चाहिए कि उसका पिछला हिस्सा या फिर कहें कि पीठ नजर आए। प्रतिमा सामने से नजर आनी चाहिए। पीठ दिखाती हुई ईश्वर की प्रतिमा बहुत अशुभ मानी जाती है। ऐसा करने से घर में दुर्भाग्य आता है। साथ ही कभी भी ईश्वर के रौद्र रूप की मूर्ति घर या मंदिर में नहीं लगानी चाहिए। ऐसी मूर्ति जिसमें ईश्वर का रूप गुस्से में हो। ईश्वर की प्रतिमाओं को हमेशा सौम्य, सुंदर एवं धन्य मुद्रा में स्थापित करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा आती है। पूजा घर में कभी भी गणेश जी की दो से ज्यादा प्रतिमा या चित्र न लगाएं। ये शुभ नहीं माना जाता है। मगर घर में दो भिन्न-भिन्न स्थानों पर एक भगवान की दो फोटोज हो सकती हैं। वही ईश्वर की कभी भी खंडित प्रतिमाओं अथवा चित्र को घर या मंदिर में नहीं रखना चाहिए। ये बेहद ही अशुभ माना जाता है। ऐसे मूर्तियों का होना अनिष्ट की वजह बनता है। इसलिए खंडित प्रतिमाओं को तुरंत विसर्जित करें। पूजा की जगह पर एक ही भगवान की मूर्तियां आमने-सामने रखना भी अशुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त एक ही भगवान की दो मूर्तियां एक साथ या आस-पास भी नहीं होनी चाहिए। इससे गृहक्लेश बना रहता है। गणेश जी के इन चमत्कारी मंत्रों के जप से दूर होंगे सभी कष्ट इस दिन लगेगा साल का अंतिम सूर्य ग्रहण, जानिए कब और कहाँ होगा प्रभाव? आखिर क्यों खरमास के दौरान नहीं किए जाते हैं मांगलिक कार्य?