नई दिल्ली : अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमे उन्होंने शीर्ष अदालत से पूछा है कि वह बताए कि SC और ST समुदाय को पदोन्नति में आरक्षण दिया जाना सही है या नहीं. साथ ही उन्होने यह भी कहा है कि वह इस मामले में कोई भी टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं. अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि SC और ST समुदाय के लोग पिछले 1000 वर्षों से जातिगत भेदभाव को सहन करते हुए आ रहे है और यह हश्र आज भी जारी है. सरकार ने वापस लिया सोशल मीडिया पर निगरानी रखने का फैसला : अटॉर्नी जनरल सुप्रीम कोर्ट से स्पष्ट रूप में नए अटॉर्नी जनरल ने दलित समुदाय के हित में सवाल किए है. बता दे कि इससे पहले कल सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ का गठन हुआ था. इस मामले पर आज चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई की. खतना प्रथा बंद करने के लिए केंद्र ने उठाई आवाज़ बता दे कि 12 साल पुराने नागराज जजमेंट पर शीर्ष अदालत में सुनवाई जारी है. पांच सदस्यीय संविधान पीठ में सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल है. केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा है कि 2006 के फैसले पर पुनर्विचार की तत्काल जरूरत है. ख़बरें और भी... सुप्रीम कोर्ट : IPC की धारा 497 असंवैधानिक, महिलाओं के लिए भेदभावपूर्ण सदन में वेणुगोपाल ने उछाला नीट डाटा लीक का मुद्दा NRC ड्राफ्ट: विदेशी घोषित होंगे 40 लाख लोग, सरकार रखेगी बायोमेट्रिक रिकॉर्ड