बहुत ही कम लोग मौली के इस महत्व के बारे में जानते है

हिन्दू धर्म में प्राचीन काल से ही कई रीतिरिवाज को आज तक हम लोग मानते आ रहे है जिसमे सभी का अपना अलग महत्व होता है व्यक्ति कई प्रकार की पूजा विधियों के द्वारा अपने आराध्य को प्रसन्न करते है. किन्तु हर जगह रक्षा सूत्र का उपयोग किया जाता है इसे कलेवा और मौली भी कहा जाता है. जिसे स्त्री पुरुष अपनी कलाई पर बांधते है स्त्रियाँ इसे अपनी बाईं कलाई और पुरुष दाएँ हाँथ की कलाई पर बांधते है. इसके विषय में और भी कई जानकारियाँ है आइये आगे जानते है.

मौली का इतिहास- प्राचीन समय में यज्ञ में बाँधा जाने वाले बंधन को आज के समय में रक्षासूत्र कहा जाने लगा एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान के वामनावतार ने राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर पाताललोक जाने का आदेश दिया था.

रक्षासूत्र बांधते समय का मन्त्र- जब भी किसी को रक्षासूत्र बांधा जाता है तो इसके मन्त्र में उसी घटना का जिक्र किया जाता है जो वामनावतार के समय भगवान् विष्णु ने किया था. प्रायः रक्षासूत्र सभी पूज्य और आदरणीय व्यक्ति को बांधा जाता है.

धर्म शास्त्र के अनुसार- धर्म शास्त्र के विद्वानों का मानना है की मौली बांधते समय ब्राम्हण या पुरोहित अपने यजमान से यह कहता है की जिस प्रकार दानवों के पराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बंधे गए थे उसी सूत्र से में तुम्हे बांधता हूँ. और रक्षासूत्र से कहता है की हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना.

रक्षा सूत्र के ख़ास उपाय- यदि रक्षासूत्र व्यक्ति अपने वाहन, कलम, बही, चाबी के छल्ले, तिजोरी पर बांधते है तो लाभ की प्राप्ति होती है. रक्षासूत्र को कलश, कंडा, अलमारी, पूजा घर में बाँधने से आपके घर खुशियों का आगमन होता है. जो व्यक्ति नौकरी करते है वह यदि अपने टेबल के दराज में रक्षासूत्र बांधते है या रखते है तो उनकी उन्नति की सम्भावना अधिक होती है.

 

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