इसलिए किया जाता है जया-पार्वती व्रत

हिन्दू धर्म में हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जया पार्वती व्रत किया जाता है. इस व्रत को भक्त लोग बड़ी ही श्रद्धा के साथ करते हैं. दरअसल, इसे विजया-पार्वती व्रत के नाम से भी जाना जाता है और खास तौर पर ये मालवा क्षेत्र में किया जाता है. जैसा कि नाम से ही ज्ञात हो रहा है कि ये माँ पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. बता दें, इस साल यह व्रत 24 से 31 जुलाई के बीच मनाया जाएगा.

ये व्रत भी गणगौर, हरतालिका, मंगला गौरी और सौभाग्य सुंदरी व्रत की तरह है जो महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य के लिए करती हैं और माँ पार्वती से अपने पति की लम्बी उम्र के लिए वरदान मांगती है. कथाओं के अनुसार इस व्रत के बारे में भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को बताया था. हर क्षेत्र में इसे लग-अलग तरह से मनाया जाता है. कहीं एक दिन के लिए तो कहीं 5 दिनों तक इसे मनाया जाता है. इसमें बालू रेत का हाथी बना कर उन पर 5 प्रकार के फल, फूल और प्रसाद चढ़ाए जाते हैं.

जानकारी के लिए बता दें इस व्रत में नमक का खाना मना है और गेहूं का आटा, सभी तरह की सब्जियां भी नहीं खानी चाहिए. इस व्रत को पूर्ण करने के लिए आप फल, दूध, दही, जूस, दूध से बनी मिठाई का सेवन कर सकते हैं. आखिरी दिन जब इस व्रत का पूजन कर दिया जाये तो उसके बाद इस व्रत को खोल सकते हैं और व्रत संपन्न कर सकते हैं.

देवशयनी एकादशी : मंगल कार्यों पर लगने वाला है विराम

देखिए भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा की तस्वीरें

दूसरा दिन : मौसी के घर जा रहे हैं भगवान जगन्नाथ ऐसे होगा आदर सत्कार

Related News