नई दिल्ली: ISRO ने इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंड कर चुका है, जो भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। भारत चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर आसानी से अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बन गया है। 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और ISRO के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिकों की 4 साल की कड़ी मेहनत और लगन आखिर रंग ले ही लाई और अब पूरी दुनिया ही नहीं चांद भी भारत की मुठ्ठी में है। वही चंद्रयान 3 से पहले रूस का लूना 25 मिशन तेजी से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर आगे बढ़ रहा था. ये बात अलग है कि सॉफ्ट लैंडिंग से पहले दुर्घटना का शिकार हो गया. भारत का विक्रम लैंडर अब चांद पर पैर जमाकर खड़ा हो चुका है तथा प्रज्ञान रोवर चहलकदमी कर रहा है. लेकिन क्या आप जानते है कि लैंडर का नाम विक्रम तथा रोवर को प्रज्ञान नाम क्यों दिया गया? आइये आपको बताते है... चंद्रयान 3 मिशन की भांति चंद्रयान 2 में भी लैंडर को विक्रम और रोवर को प्रज्ञान नाम दिया गया था. अब बताते है कि इस नामकरण के पीछे की कहानी क्या है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि इंडिन स्पेस प्रोग्राम के जनक के रूप में विक्रम साराभाई को जाना जाता है. विक्रम का मतलब बहादुरी होता है. उनके सम्मान में लैंडर का नाम विक्रम रखा गया. चंद्रयान 2 की तुलना में चंद्रयान 3 में विक्रम लैंडर के पैर को और मजबूत बनाया गया था जिससे वो चांद की सतह पर और मजबूती के साथ पैर जमा सके. प्रज्ञान रोवर:- अब बात करते हैं रोवर की. रोवर को प्रज्ञान नाम दिया गया. इसकी उत्पत्ति संस्कृत से हुई है जिसका मतलब विजडम यानी बुद्धिमानी से जुड़ा है. इस नाम के पीछे की कहानी यह है कि वैज्ञानिकों के अनुसार, इसका काम चांद की सतह को परखना तथा जानकारी इकट्ठा करना है. इसमें रोवर को अपने दिमाग का उपयोग करना पड़ेगा लिहाजा नाम प्रज्ञान रखा गया. यदि बात चंद्रयान 2 की करें तो हार्ड लैंडिंग होने के पश्चात् वो चांद में ही खो गया हालांकि प्रज्ञान रोवर काम कर रहा है. इसी लिए चंद्रयान 3 मिशन के लिए अलग से प्रज्ञान रोवर को डिजाइन नहीं किया गया था. हिमाचल में बुधवार को भी 12 लोगों की मौत, भारी बारिश और भूस्खलन से मृतकों का आंकड़ा पहुंचा 120 जिंदा महिला को पंचायत सचिव ने किया मृत घोषित, आदिवासी महिला ने कलेक्टर से लगाई मदद की गुहार 'चंद्रयान-3 में भेजे गए यात्रियों को सलाम..', कांग्रेस मंत्री अशोक चांदना की विचित्र बधाई, लोग बोले- सुल्फा मारा है क्या ?