गांव के स्कूल में बने गांव के ही केन्द्राध्यक्ष

रीवा: एक ओर माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल नकल रोकनें के लिये जहां एक ब्लाक से दूसरे ब्लाक में पर्यवेक्षक नियुक्त कर रहा है, तो वही केन्द्राध्यक्ष लगभग 50 किमी दूरी का हो इन सबके पीछे एक ही उद्देष्य होता है कि नकल की प्रथा पर लगाम लगाई जा सके। किन्तु इन सबको फिल्मी स्टाइल से सांठ-गांठ करके चुपचाप इतनी बढिया सेटिंग कर न सिर्फ नकल करवानें के नाम पर परीक्षा केन्द्र बनवा लिया जाता है इतना ही नहीं अपनें चहेतो को केन्द्राध्यक्ष भी बनवा लिया जाता है।

मिली जानकारी के मुताबिक परीक्षा केन्द्र शाउमावि. गोड़हर में ऐसा ही मामला सामनें आया है। जहां पर हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी की परीक्षा केन्द्र में चोरहटा स्कूल, अगडाल स्कूल, अशा.वि.छिजवार का परीक्षा केन्द्र बनाया गया है उक्त विद्यालयों में बाबूपुर, जोन्हीं, खोभर, अगडाल, कपुरी, करहिया, छिजवार सहित एक दर्जन गांव के बच्चे अध्ययनरत है। आष्चर्य की बात तो यह है कि इस परीक्षा केन्द्र गोडहर में गोडहर के ही स्थानीय निवासी वीरेन्द्र शुक्ल को केन्द्राध्यक्ष बनाया गया है जो कि शा.खड्डा स्कूल में प्राचार्य के पद पर पदस्थ है।

इतना ही नहीं वीरेन्द्र शुक्ल ने केन्द्राध्यक्ष बनते ही सभी अशासकीय विद्यालयों के संचालकों सें संपर्क कर चहेते पर्यवेक्षकों की ड्यूटी लगाई, जिसमें सबसे पहले स्वयं की पत्नी श्रीमती अरूणा शुक्ला जो अगडाल में पदस्थ है की ड्यूटी लगाई, इसके बाद सहायक केन्द्राध्यक्ष गोडहर में ही पदस्थ लवकुश तिवारी को बनाया गया फिर बीईओ के द्वारा लगाये गये पर्यवेक्षकों के स्थान पर अपनें चहेते और उक्त आसपास के ही निवासी शिक्षक जिसमें अरूणा शुक्ला शाअ.खोभर, माया सिंह सअ.खोभर, सुरेश चन्द्र तिवारी शिक्षक गोड़हर, सीताराम त्रिपाठी जिनकी ड्यूटी बीईओ नें ज्ञानोदय विद्यालय में लगाई थी उसे किनारे कर केन्द्राध्यक्ष नें अपनें साथ लगाई क्योंकि सीताराम त्रिपाठी स्थानीय ग्राम बाबूपुर के ही निवासी है उनके भाई-भतीजे और गावं के बच्चे इसी केन्द्र में परीक्षा भी दे रहे है।

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