इम्फाल: मणिपुर पुलिस ने इंग्लैंड से मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच तनाव बढ़ाने के आरोपी प्रोफेसर उदय रेड्डी के खिलाफ FIR दर्ज की है। भारत में उनके ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इंग्लैंड के बर्मिंघम विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस के भारतीय मूल के प्रोफेसर उदय रेड्डी ने अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के जरिए मणिपुर में हिंसा भड़काई है। उन पर लगातार मैतेई समुदाय का अपमान करने का आरोप है, जिससे मैतेई और कुकी समुदायों के बीच तनाव बढ़ रहा है। इंफाल में दर्ज FIR में रेड्डी पर लोगों को सुरक्षा बलों को बाधित करने और सोशल मीडिया पर ऑडियो संदेशों के जरिए उन्हें भड़काने का आरोप लगाया गया है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि रेड्डी ने जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण इरादे से मैतेई समुदाय की धार्मिक मान्यताओं का अपमान किया है, जिससे धार्मिक आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा मिला है। FIR में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत कार्रवाई की मांग की गई है, जिसमें कहा गया है कि रेड्डी की हरकतें देशद्रोह जैसी हैं और भारत की अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा हैं। इसके अलावा, FIR से पता चलता है कि रेड्डी के कनाडा में खालिस्तानी समूहों और ड्रग तस्करी गिरोहों से संबंध हो सकते हैं। शिकायतकर्ता ने रेड्डी के भारत में प्रवेश करने पर उनकी गिरफ़्तारी के लिए लुकआउट सर्कुलर का अनुरोध किया है और बर्मिंघम विश्वविद्यालय से उनकी कथित गतिविधियों की जाँच करने के लिए भी कहा है। कानूनी माँग का हवाला देते हुए रेड्डी के ट्विटर अकाउंट को भारत में ब्लॉक कर दिया गया है। उनके खिलाफ़ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 117, 295 और 153ए के तहत आरोप लगाए गए हैं। अभी तक, रेड्डी ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है। मणिपुर में पिछले डेढ़ साल से उथल-पुथल चल रही है, हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद मीतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़पें हुई हैं। इस अशांति ने कई निवासियों को उनके घरों से बेघर कर दिया है। क्या है मणिपुर में हिंसा का मूल कारण ? बता दें कि, मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जो कि पूरे मणिपुर का लगभग 10 फीसद क्षेत्र है। वहीं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, की आबादी 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं। मणिपुर का 90 फीसद हिस्सा पहाड़ी है, जिसमे केवल कुकी-नागा जैसे आदिवासियों (ST) को ही रहने और संपत्ति खरीदने की अनुमति है, ऐसे में मैतेई समुदाय के लोग महज 10 फीसद इलाके में रहने को मजबूर हैं। उन्होंने ST का दर्जा माँगा था, जिसे हाई कोर्ट ने मंजूरी भी दे दी थी, लेकिन इससे कुकी समुदाय भड़क उठा और विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। यही हिंसा की जड़ रही। बताया जाता है कि, कुकी समुदाय के अधिकतर लोग धर्मान्तरित होकर ईसाई बन चुके हैं और वे घाटी पर अफीम की खेती करते हैं, इसलिए वे घाटी में अपना एकाधिकार रखना चाहते हैं और किसी को आने नहीं देना चाहते। विदेशी फंडिंग और मिशनरियों के इशारे पर चलने वाले अधिकतर NGO इन्ही कुकी-नागा लोगों को भड़का रहे हैं। इन कुकी समुदाय को खालिस्तानियों का भी साथ मिल रहा है, कुकी समुदाय का एक नेता कनाडा जाकर खालिस्तानी आतंकियों से मिल भी चुका है, जहाँ से उन्हें फंडिंग और हथियार मिले थे। वहीं, म्यांमार और चीन भी कुकी लोगों को मैतेई से लड़ने के लिए हथियार दे रहे हैं। हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़, करीब 40 की मौत, 100 से अधिक घायल हिन्दू हिंसक तो चल गया, लेकिन इस्लाम में 'अभय मुद्रा' नहीं चली ! राहुल गांधी पर क्यों भड़के अजमेर दरगाह के चिश्ती ? ओडिशा में ट्रक से 21 टन गोमांस बरामद, ड्राइवर मोहम्मद रफीक गिरफ्तार