विष्णु दिगम्बर पलुस्कर : शास्त्रीय संगीत को दुनियाभर में मशहूर करने वाले कलाकार

विष्णु दिगम्बर पलुस्कर जिनका नाम सुनते ही संगीत की एक नई परिभाषा दिमाग में आ जाती हैं. विष्णु दिगम्बर का भारतीय संगीत में महत्वपूर्ण योगदान है. साल 1931 में आज ही के दिन उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा था. विष्णु दिगम्बर ने महात्मा गांधी के साथ मिलकर अलग-अलग मंचों पर रामधुन गाकर हिन्दुस्तान के शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाया था.

विष्णु दिगम्बर का जन्म 18 अगस्त 1872 को कुरूंदवाड़ में हुआ था. उनको बचपन से ही अपने घर में संगीत का माहौल मिला था. उनके पिता दिगम्बर गोपाल पलुस्कर भी भजन गाते थे. विष्णु ने अपने जीवन में कई मुसीबते झेली हैं. दरअसल उनके पास के ही एक कसबे में दत्तात्रेय जयंती के दौरान उनकी आंख के पास पटाखा फुट गया था जिसके बाद विष्णु को अपनी दोनों आंखो की रोशनी गंवानी पड़ी थी.

विष्णु ने पंडित बालकृष्णबुवा इचलकरंजीकर से संगीत का अध्ययन किया था. उन्होंने पूरे 12 वर्षो तक संगीत सीखा और इसके बाद उन्होंने लाहौर सहित देशभर का दौरा किया. साल 1901 में विष्णु ने लाहौर में गंधर्व महाविद्यालय का शुभारम्भ किया था. उन्होंने अपने इस महाविद्यालय में सभी विद्यार्थियों के लिए प्रोत्साहनार्थ छात्रवृत्तियों की भी व्यवस्था की थी. इसके साथ ही विष्णु ने अपने महाविद्यालय में बड़ी संख्या में पाठ्य पुस्तकों को प्रकाशित किया था. विष्णु ने करीब 70 संगीत ग्रंथों का प्रकाशन किया है इसके साथ ही नेत्रहीन होने के बाद बावजूद उन्होंने संगीत पर 50 किताबे भी लिखी है. 

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