विष्णु पुराण (Vishnu Puran) में अब तक आपने देखा समुद्र मंथन करने के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी एवं नागराज वासुकि को नेती बनाया गया। इसके अलावा देवताओं और दैत्यों ने अपना मतभेद भुलाकर मंथन आरंभ किया। वहीं समुद्र मंथन के परिणाम स्वरूप जो चौदह मूल्यवान वस्तुएं प्राप्त हुई थीं, उनमें से हलाहल (कालकूट) विष सबसे पहले निकला था। वहीं कालकूट विष की ज्वाला बहुत तीव्र थी। हलाहल विष की ज्वाला से सभी देवता तथा दैत्य जलने लगते हैं। वहीं धरती पर हाहाकार मच जाता है। वहीं सभी देवता मिलकर भगवान शंकर की आराधना करते हैं तब भगवान शिव अपने भक्तों की रक्षा के लिए कालकूट विष का पान करते हैं। इसी विष के प्रभाव से शिव का कंठ नीला पड़ा, इसीलिए उन्हें 'नीलकंठ' के नाम से भी जाना जाने लगा।दोबारा मंथन आरंभ होता है। इस बार समुद्र से लक्ष्मी रूपी नारी निकलती हैं जो स्वयं लक्ष्मी का अवतार थीं। वहीं इस नारी को ब्रह्मा ने सागर पुत्री का नाम दिया।वहीं इस सुंदर स्त्री के लिए देवता और दानवों में युद्ध होने लगा। वहीं फिर सागर पुत्री के रूप में जन्मीं माता लक्ष्मी ब्रह्मा के पास इसका समाधान मांगने जाती हैं। इसके अलावा इस तरह ब्रह्मा देवताओं और दानवों को याद दिलाते हैं कि नारी पर उसकी इच्छा के बिना कोई अधिकार नहीं जमा सकता। अपने लिए किसी को स्वीकार और अस्वीकार करने का निर्णय केवल नारी का है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस तरह ब्रह्मा ने सागर पुत्री के लिए स्वयंवर प्रथा की शुरुआत की यानी अपनी इच्छा से अपना वर चुनने का अधिकार दिया।तब से ही माना जाता है कि जिस भी घर में स्त्री का सम्मान होता है, वहां समृद्धि कायम रहती है। वहीं अब सागर पुत्री के रूप में जन्मीं लक्ष्मी किसका चुनाव करती हैं इसे देखने के लिए तो आपको अगले एपिसोड का इंतजार करना होगा।आपकी जानकारी के लिए बता दें महाभारत में कृष्ण का रोल निभाने वाले नीतीश भारद्वाज ने विष्णु पुराण में भगवान विष्णु का किरदार निभाया था।वहीं वैदेही अमृते ने इस सीरियल में माता लक्ष्मी का किरदार निभाया था। टीवी की सीता ने शेयर किया अपनी लाइफ के राम से मिलने का वीडियो लॉकडाउन बढ़ने की खबर से भारती सिंह का हुआ यह हाल स्ट्रीट फूड का मज़ा ले रही है टीवी की नागिन अदाकारा मौनी रॉय