पटना। आज बिहार में भगवान विश्वकर्मा का पूजन हो रहा है। इस दौरान बड़े पैमाने पर विश्वकर्मा समाजजन और भगवान श्री विश्वकर्मा के अनुयायी उनके मंदिरों और पूजन स्थलों पर उमड़े। माना जाता है कि, भगवान विश्वकर्मा देव शिल्पी हैं और उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के कहने पर ही द्वारिका नगरी का निर्माण किया था। माना जाता है कि, उन्होंने सतयुग में स्वर्ग लोक का निर्माण किया, त्रेता युग में लंका का निर्माण किया था। हस्तिनापुर नगरी का निर्माण भी देवशिल्पी विश्वकर्मा द्वारा निर्मित बताया जाता है। भगवान विश्वकर्मा के पास सुदर्शन चक्र और पुष्पक विमान है। उनके हाथ में भगवान महादेव का त्रिशूल और यमराज का कालदंड सुशोभित है। यह भी मान्यता है कि, भगवान विश्वकर्मा ने ही पुष्पक विमान बनाया था। भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को स्‍थापित कर पूजा की जाती है, हालांकि कुछ लोग अपने कलपुर्जों को ही विश्वकर्मा मानकर उनकी पूजा करते हैं। इस अवसर पर यज्ञ का आयोजन किया जाता है। विश्‍वकर्मा का पूजन करने हेतु स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान श्री हरि विष्‍णु का ध्‍यान करना चाहिए, इसके बाद भगवान विश्वकर्मा के चित्र या फिर प्रतिमा की स्थापना कर उसका पूजन करना चाहिए। इस पर कुमकुम, पुष्प, अक्षत आदि समर्पित करना चाहिए। भगवान को पुष्प, मिठाईयाॅं, चांवल आदि समर्पित किए जाने चाहिए। ऋग्वेद में भगवान विश्वकर्मा का वर्णन मिलता है। इस वेद में भगवान विश्वकर्मा के सम्मान में 11 ऋचाऐं वर्णित हैं। यदि आप कोई भी निर्माण कर रहे हों तो उसमें भगवान विश्वकर्मा का पूजन बेहद फलदायी होता है और यह श्रेष्ठ होता है। दरअसल भगवान विश्वकर्मा को प्रसन्न करने के लिए ॐ आधार शक्तपे नमः और ॐ कूमयि नमः,ॐ अनन्तम नमः ॐ पृथिव्यै नमः मंत्र का जाप करना श्रेष्ठ होता है। यह उत्तमफलदायी है। पितृ पक्ष में ये काम करने से मिलती है पितरों की आत्मा को शान्ति अखाड़ों की सुविधा से वंचित हुए राधे माँ, निर्मल बाबा समेत 11 ढोंगी बाबा ऑस्ट्रेलिया के मीट ऐड पर, भारतीय उच्चायोग ने जारी किया विरोधपत्र हाथों की रेखा से जानिये अपने आने वाले कल के बारे में