पाकिस्तान और हुर्रियत नेताओं की बातचीत पर मोदी सरकार का यू टर्न

नई दिल्ली : बीजेपी को इस बात से कोई ऐतराज नहीं है कि हुर्रियत के नेता पाकिस्तान से बात करे। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री जनरल वी के सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है और अलगाववादी नेता भारत के नागरिक है, लिहाजा वो किसी से भी बात कर सकते है।

लेकिन उन्होने यह भी साफ किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाली बातचीत में तीसरे पक्ष की भूमिका की कोई आवश्यकता नहीं है। दोनों मुल्कों के बीच बातचीत शिमला समझौता और लाहौर घोषणा पत्र के अनुसार ही होगी।

इस मुद्दे पर भारत अपनी ओर से कई बार सफाई दे चुका है। अगस्त 2014 में जब पाकिस्तान के हाइ कमिश्नर अब्दुल बासित और हुर्रियत नेताओं के बीच मुलाकात हुई, तो सरकार ने दोनों देशों के बीच होने वाली विदेश सचिव स्तर की वार्ता को रद्द कर दिया था।

भारत सरकार द्वारा नापसंद किए जाने के बावजूद 2001 में हुए आगरा समिति के बाद से ही हुर्रियत के नेता पाकिस्तान से बात करते आए है। भारत सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह भी दिया है कि दोनों के बीच बातचीत का कोई आधार नहीं है।

2015 में ऊफा घोषणापत्र के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत में हुर्रियत का मामला सामने आया। हुर्रियत नेताओं की बातचीत की वजह से दोनों देशों के बीच वार्ता टल भी गई।

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