पारसी समुदाय में गिद्ध खाते हैं शव, लेकिन ऐसे नहीं होगा रतन टाटा का अंतिम-संस्कार

मुंबई: भारत के प्रसिद्ध व्यवसायी रतन टाटा का मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। उनकी उम्र 86 वर्ष थी, और वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। रतन टाटा का अंतिम संस्कार पारसी रीति-रिवाजों से नहीं होगा, बल्कि वर्ली स्थित इलेक्ट्रिक अग्निदाह में किया जाएगा।

उनका पार्थिव शरीर कोलाबा स्थित उनके घर पर रखा गया है, जहां परिवार के सदस्य और विशेष पुलिस कमिश्नर देवेन भारती भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे हैं। रतन टाटा के शव के लिए एक पोर्टेबल कोल्ड स्टोरेज शवगृह की व्यवस्था की गई है। उनके शव को आज शाम 4 बजे तक नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। इस दौरान उनके घर पर कई उद्योगपति, बिजनेसमैन और फिल्मी सितारे भी आने की उम्मीद है।

पारसी समुदाय के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया आमतौर पर अलग होती है। पारसी लोग अपने शवों को "टावर ऑफ साइलेंस" यानी दखमा पर रखते हैं, जहां शव को सूरज की रोशनी में रखा जाता है, यहाँ गिद्ध, चील और कौए शव को खा जाते हैं। पारसी धर्म में शवों को जलाना या दफनाना नहीं किया जाता है, क्योंकि इसे प्रकृति को अपवित्र करने के समान माना जाता है। पारसी समुदाय में यह मान्यता है कि मृत शरीर अशुद्ध होता है और इसे खुले आसमान में छोड़ना चाहिए। हालाँकि, रतन टाटा का अंतिम संस्कार इस पारसी तरीके से नहीं होगा। 

रतन टाटा का अंतिम संस्कार इलेक्ट्रिक अग्निदाह के जरिए किया जाएगा, जैसा कि टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का अंतिम संस्कार भी इसी तरीके से हुआ था। साइरस मिस्त्री की मृत्यु 4 सितंबर 2022 को एक सड़क दुर्घटना में हुई थी। रतन टाटा के अंतिम संस्कार के लिए उनके पार्थिव शरीर को वर्ली के पारसी शमशान में ले जाया जाएगा। वहां, प्रार्थना हॉल में उनकी प्रार्थना की जाएगी, जिसमें करीब 200 लोग उपस्थित रह सकते हैं। प्रार्थना के बाद, शव को वर्ली के इलेक्ट्रिक अग्निदाह में रखा जाएगा और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

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