बैंगलोर: कर्नाटक में, जहां कांग्रेस की सरकार है, राज्य वक्फ बोर्ड ने 53 ऐतिहासिक स्मारकों पर दावा किया है, जिनमें से 43 स्मारक पहले ही उनके कब्जे में आ चुके हैं। ये स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीन हैं और इनमें प्रसिद्ध गोल गुम्बज, इब्राहिम रौजा, बारा कमान, और बीदर व कलबुर्गी के किले जैसे महत्वपूर्ण स्थल शामिल हैं। इनमें से अधिकांश स्मारक विजयपुरा में स्थित हैं, जो एक समय में आदिल शाही साम्राज्य की राजधानी था। इसके अलावा, छह स्मारक हम्पी में और चार बेंगलुरु सर्कल में हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वक्फ बोर्ड ने 2005 में विजयपुरा के 43 स्मारकों को अपने अधिकार में घोषित किया था, तब भी राज्य में कांग्रेस की ही सरकार थी। उस समय मोहम्मद मोहसिन, जो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में प्रधान सचिव थे, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और विजयपुरा के डिप्टी कमिश्नर के पद पर भी कार्यरत थे। मोहसिन ने बाकायदा कांग्रेस सरकार के अधीन आने वाले राजस्व विभाग की गजट अधिसूचना के माध्यम से वक्फ बोर्ड के दावे को मान्यता दिलवाई थी, जिसमें उन्होंने "प्रामाणिक दस्तावेजी सबूत" पेश करने का दावा किया था। वक्फ बोर्ड इन स्मारकों पर दावा करते हुए संपत्ति के मालिकाना हक के प्रमाणपत्र का उपयोग कर रहा है। हालांकि, कानून के अनुसार, एक बार जब ASI के पास किसी संपत्ति का अधिकार आ जाता है, तो वह किसी और को नहीं सौंपा जा सकता। 1958 के प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल (AMASR) अधिनियम के तहत, ASI द्वारा संरक्षित संपत्तियों को किसी अन्य के नाम हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। ASI के एक अधिकारी ने बताया कि वक्फ बोर्ड ने इन संपत्तियों पर कब्जा करते समय ASI की सहमति नहीं ली, जो कानून का उल्लंघन है। 2012 में जब भाजपा की सरकार के समय एक संयुक्त सर्वेक्षण किया गया, तो उस दौरान भी वक्फ बोर्ड अपने दावे के समर्थन में ठोस प्रमाण पेश नहीं कर सका, और ASI ने इन स्मारकों पर अपने अधिकार की पुष्टि की थी। ASI के अधिकारियों का कहना है कि विजयपुरा में 43 स्मारकों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। इन स्मारकों पर प्लास्टर और सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है, और आधुनिक सुविधाएं जैसे पंखे, एसी, ट्यूबलाइट और टॉयलेट जोड़े जा रहे हैं। कुछ जगहों पर दुकानें भी बनाई गई हैं, जिससे इन ऐतिहासिक स्थलों की स्थिति बिगड़ रही है और पर्यटकों के आकर्षण को नुकसान पहुंच रहा है। ASI लंबे समय से राज्य सरकार और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को इन कब्जों को हटाने के निर्देश भेजता आ रहा है। लेकिन 2007 से अब तक, केंद्र सरकार के आदेशों के बावजूद कर्नाटक के चीफ सेक्रेटरी, विजयपुरा के डिप्टी कमिश्नर और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस कारण, स्मारकों पर अवैध कब्जे अब भी बने हुए हैं। कर्नाटक के इन ऐतिहासिक स्मारकों पर वक्फ बोर्ड का दावा और कब्जा एक बड़ा विवाद बन गया है। यह न केवल कानूनी मुद्दे खड़े कर रहा है, बल्कि राज्य की ऐतिहासिक धरोहरों को भी खतरे में डाल रहा है। इस मामले में कांग्रेस सरकार और संबंधित विभागों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। सोशल-मीडिया पर हिन्दू-घृणा फैलाई, तो 'नरसिंह वाराही विंग' देगी करारा जवाब, पवन कल्याण का ऐलान शीतकाल के लिए बंद हुए केदारनाथ के कपाट, अब 6 महीने बाद होगा पूजन अयोध्या में दिए बुझते ही मची तेल की लूट, डिब्बे लेकर पहुंची महिलाएं, Video