वारंगल में आज के दौर के युवाओं को कई तरह से परेशानियों और बदलाव का सामना करना पद रहा है. वारंगल शहर में एक दर्जन से अधिक यादगार कुए उपेक्षा की एक शाखा में स्थित है और यह कि कुछ गैर जिम्मेदार निवासियों के कारण ग्रेटर वारंगल नगर निगम (GWMC), राज्य पुरातत्व विभाग, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों द्वारा दिखाया गया बेफिक्र के कारण इस कुए को आज डंप गज में बदला जा रहा है. पहल की कमी के कारण, यह कदम कुओं व्यावहारिक रूप से आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए डंप गज में बदल गया है. इतिहास से जुड़े सूत्र बताते हैं कि वारंगल फोर्ट सहित शहर में ऐसे 13 कदम कुएं हैं. जबकि इनमें से पांच किले वारंगल में एएसआई की देख रेख में हैं, आउटलास्टिंग शहर के विभिन्न हिस्सों में स्थित है. उनमें से कई 12 वीं या 13 वीं सदी के ईस्वी के हैं. इतिहासकारों और पुरातत्व उत्साही अरविंद आर्य पाके के प्रयासों के बाद जीडब्ल्यूएमसी द्वारा शिवा नगर और करीमाबाद में मेटला बावी दोनों को बहाल किया गया. लेकिन उन सभी को अब डंप के रूप में उपयोग किया जा रहा है क्या वह "लकड़ी के नेतृत्व में" लोगों के रूप में शब्दों से गज की दूरी पर. अरविंद ने एक लीडिंग डेली को बताया, "हालांकि जीडब्ल्यूएमसी द्वारा शिवा नगर में स्टेपवेल के आसपास एक कंपाउंड वॉल का निर्माण किया गया था, लेकिन स्थानीय लोग, मुख्य रूप से चिकन सेंटर्स के मालिक, इस समय इसमें कचरा डंप कर रहे हैं. स्टेपवेल कुएं हों या तालाब, जिनमें लोगों के लिए सीढ़ियां चढ़कर जलस्तर तक पहुंचाया जाता है. वे पहली या दूसरी मंजिल तक कुएं के पानी को उठाने के लिए एक बैल के साथ पानी का पहिया मोड़ने के साथ बहुमंजिला हो सकते हैं. मालूम हो कि हो सकता है कि सूखे की अवधि के दौरान पानी सुनिश्चित करने के लिए कदम-कुओं के लिए शुरू कर दिया हो. आज से देशभर में दौड़ेंगी 80 नई ट्रेनें, यात्रा से पहले जान लें ये जरुरी बातें तेलंगाना ने अधिकारों की रक्षा के लिए किया नया प्रावधान कानपुर: कोरोना ने ली पांच और मरीजों की जान, 400 से अधिक नए संक्रमित आए सामने