अब सिगरेट की तरह गंगा-जल के लिए भी दिख सकती है चेतावनी

नई दिल्ली। आपने अक्सर सिगरेट के पैकेट और दुकानों पर कैंसर की चेतावनी देखी होगी। लेकिन कुछ ऐसी ही चेतावनी वाले बोर्ड अब आपको गंगा नदी के किनारे भी दिख सकते है। दरअसल हरिद्वार से उन्नाव तक गंगा का पानी पीने और नहाने लायक न होने की पुष्टि होने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नाराज़गी जताई है। एनजीटी ने कहा है कि जिस तरह सिगरेट के डिब्बे पर वैधानिक चेतावनी दी जाती है उसी तरह  लोगों को यह क्यों नहीं बताया जा रहा कि उक्त क्षेत्र में गंगा का पानी पीने या नहाने लायक नहीं है और इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

जस्टिस ए के गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को हर 100 किलोमीटर पर डिसप्ले बोर्ड लगाने और वेबसाइट पर सूचना प्रकाशित करने का आदेश दिया। 6 अगस्त को मामले पर फिर सुनवाई होगी। इस मामले मे यूपी सरकार की ओर से पेश वकील डॉ संदीप सिंह ने कहा कि गंगा की गुणवत्ता में सुधार के लिए करीब 230 सिफारिश दिए गए हैं। उनमें से अधिकांश बिंदुओं पर काम हो चुका है। हालांकि जस्टिस इन दलीलों से संतुष्ट नहीं है।

एनजीटी ने कहा, ‘मासूम लोग श्रद्धा और सम्मान से गंगा का जल पीते हैं और इसमें नहाते हैं. उन्हें नहीं पता कि यह उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है. अगर सिगरेट के पैकेटों पर यह चेतावनी लिखी हो सकती है कि यह ‘स्वास्थ्य के लिए घातक’ है, तो लोगों को नदी के पानी के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में जानकारी क्यों नहीं दी जा सकती?’

एनजीटी ने इसके साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को आदेश दिया है कि वह दो हफ्ते में बताएं कि औद्योगिक क्षेत्र व अन्य छेत्रों में अब तक उठाए गए कदमों से गंगा कितनी साफ हुई है? वहीं गंगाजल में सुधार की मौजूदा स्थिति क्या है और आगे की क्या कार्ययोजना है। वहीं उन्नाव में प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों को हटाने और उनका प्रदूषण रोकने को लेकर क्या किया जा रहा है?

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