'हम शांतिप्रिय देश, यहाँ सभी का सम्मान..', लाओस में पीएम मोदी को दिखाई गई 'रामायण'

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए लाओस की राजधानी विएंतियाने में हैं। 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा कि भारत और आसियान देशों की मित्रता और सहयोग वर्तमान समय में बेहद महत्वपूर्ण है, जब दुनिया के कई हिस्सों में तनाव और संघर्ष की स्थिति है। उन्होंने कहा, "हम शांति प्रिय देश हैं और एक-दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं। हम अपने युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। मेरा मानना है कि 21वीं सदी भारत और आसियान देशों की सदी है।"

 

लाओस पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी ने लुआंग प्रबांग के प्रसिद्ध रॉयल थिएटर द्वारा प्रस्तुत लाओ रामायण 'फलक-फलम' या 'फ्रा लक फ्रा राम' का मंचन देखा। यह प्रदर्शन भारत और लाओस के बीच की सांझा सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत को दर्शाता है, जो सदियों पुरानी है। phralakphralam.com के अनुसार, लाओ रामायण भारतीय रामायण से भिन्न है और इसे लगभग 16वीं शताब्दी में बौद्ध मिशनों द्वारा लाओस लाया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि दोनों देशों की साझा विरासत और परंपरा उन्हें और करीब ला रही हैं, और यह भारत-लाओस के समृद्ध संबंधों का एक उत्कृष्ट प्रदर्शन है। मंत्रालय के अनुसार, लाओस में रामायण का मंचन जारी है और यह आयोजन दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों का प्रतीक है। लाओस में भारतीय संस्कृति और परंपरा के कई पहलुओं का संरक्षण और पालन सदियों से किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने विएंतियाने में साकेत मंदिर के प्रमुख महावेथ मसेनाई के नेतृत्व में लाओ PDR के केंद्रीय बौद्ध फैलोशिप संगठन के वरिष्ठ बौद्ध भिक्षुओं द्वारा आयोजित आशीर्वाद समारोह में भी भाग लिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया कि उन्होंने लाओ PDR में भिक्षुओं और आध्यात्मिक नेताओं से मुलाकात की और यह देखकर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारतीय पाली भाषा को वहां सम्मान मिल रहा है। उन्होंने भिक्षुओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आभार प्रकट किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और लाओस के बीच साझा बौद्ध विरासत दोनों देशों के गहरे सभ्यतागत संबंधों को और प्रकट करती है। प्रधानमंत्री मोदी ने लाओस में 'वट फो' मंदिर परिसर के जीर्णोद्धार और संरक्षण पर आधारित एक प्रदर्शनी भी देखी। रणधीर जायसवाल ने बताया कि 'वट फो' मंदिर भारत-लाओस के प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों और सांझा विरासत का प्रतीक है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट वट फो के संरक्षण और जीर्णोद्धार में असाधारण कार्य कर रहा है।

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