नई दिल्ली: दिल्ली के शाही ईदगाह पार्क में रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाए जाने के विरोध में मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिस पर अदालत ने एक बार फिर उन्हें समझाइश दी है। कोर्ट ने शाही ईदगाह प्रबंधन समिति को खुद पहल करने की सलाह दी और पूछा कि क्या वे इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं। सदर बाजार क्षेत्र में स्थित ईदगाह से सटे डीडीए पार्क में रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाए जाने का मुस्लिम पक्ष विरोध कर रहा है। अदालत ने रानी लक्ष्मीबाई को राष्ट्रीय नायक बताते हुए कहा कि वह कोई धार्मिक शख्सियत नहीं हैं। जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि आखिर ईदगाह समिति मूर्ति का विरोध क्यों कर रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इसी मुद्दे के कारण दिल्ली पुलिस कमिश्नर को शहर में निषेधाज्ञा (धारा 144) लागू करनी पड़ी। अदालत ने साफ किया कि वह टकराव नहीं चाहती और इस मामले को सुलझाने के प्रयास किए जाने चाहिए। मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील विराज दतार से हाई कोर्ट ने कहा कि अदालत के बजाय समिति को खुद इस मामले में पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शख्सियत हैं, धार्मिक नहीं। अदालत ने भी वकील से कहा कि वह अपने मुवक्किल से पूछें कि क्या वे इसके लिए तैयार हैं। अदालत ने मामले को टकराव का मुद्दा नहीं बनने देने पर जोर दिया और इसे सहमति से सुलझाने की बात कही। अदालत ने कहा कि समिति को खुद आगे आकर इस मामले को सुलझाना चाहिए, ताकि कोई टकराव न हो। इस पर अदालत ने समिति के वकील को निर्देश लेकर अगली सुनवाई में पेश होने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी। इससे पहले, हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने भी ईदगाह प्रबंधन समिति के विरोध की दलीलों को खारिज कर दिया था, जिसके बाद डबल बेंच के सामने याचिका दायर की गई। मूर्ति को इलाके के एक चौराहे से हटाकर ईदगाह के पास डीडीए पार्क में स्थापित किया जा रहा है, जिस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई है। उनकी दलील है कि इस्लाम में मूर्ति के सामने सजदा करना मना है और ईद जैसे मौकों पर यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम नमाज पढ़ने आते हैं। हाल ही में मूर्ति लगाने का विरोध करते हुए कुछ लोगों ने सुरक्षा कर्मियों के साथ धक्का-मुक्की भी की थी। 'हरियाणा में कांग्रेस की जीत निश्चित..', रॉबर्ट वाड्रा ने कर दी बड़ी भविष्यवाणी आंध्र के गाँव में मिलीं ईसा से भी हज़ारों साल पुरानी कब्रें, ASI टीम पहुंची बिहार सरकार ने रोक दी 'न्यायाधीश' की सैलरी! सुप्रीम कोर्ट को देना पड़ा दखल