गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने मंगलवार को विधानसभा में एक बार फिर से विपक्ष पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि वे मिया मुसलमानों को असम पर कब्जा नहीं करने देंगे और वे पीड़ितों का पक्ष लेंगे। सरमा का यह बयान उस समय आया जब विपक्ष ने नागांव में 14 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार की घटना पर राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव लाया। जब विपक्ष ने सरमा पर पक्षपात का आरोप लगाया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे किसी का पक्ष लेंगे और विपक्ष इस पर कुछ नहीं कर सकता। उन्होंने सवाल उठाया कि लोवर असम के लोग अपर असम क्यों जाएंगे? क्या इसलिए कि मिया मुसलमान असम पर कब्जा कर लें? उन्होंने कहा कि वे ऐसा कभी नहीं होने देंगे। इस दौरान विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई, जिसके कारण स्पीकर बिस्वजीत दैमारी को कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी दलों कांग्रेस, एआईयूडीएफ, सीपीआई (एम), और निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों सहित राज्य में बढ़ते अपराधों पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किए थे। गौरतलब है कि असम कैबिनेट ने हाल ही में राज्य की स्वदेशी मुस्लिम आबादी के सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण को मंजूरी दी थी। 2022 में पांच मुस्लिम वर्गों को स्वदेशी असमिया मुसलमानों के रूप में मान्यता दी गई थी, जो असमिया भाषा बोलने वाले हैं। इसके विपरीत, मिया मुसलमानों को बांग्ला भाषी माना गया है। असम में मुस्लिम आबादी को लेकर लंबे समय से विवाद होता रहा है, और सरकारें आरोप लगाती रही हैं कि पड़ोसी देशों से असम में मुस्लिम आ रहे हैं। हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार ने भारतीय मुस्लिमों को बाहरी लोगों से अलग करने के लिए एक फिल्टर लगाने की बात कही है। UPI की तरह अब ULI लॉन्च करने जा रहा रिज़र्व बैंक, मोबाइल से मिलेगा लोन कविता को राहत, लेकिन केजरीवाल को आफत ! कोर्ट ने 3 सितंबर तक बढ़ाई हिरासत हनुमान मंदिर के गेट पर मिली गाय की कटी हुई पूँछ, हिन्दू संगठनों में आक्रोश