कहते हैं जिस तरह समाज में नारी और पुरुष को दर्जा प्राप्त है उसी तरह किन्नर समाज को भी अहम दर्जा प्राप्त हो गया है. ऐसे में कहा जाता है धार्मिक दृष्टि के अनुसार किन्नरों की उत्पति का पूरा श्रेय देवों के देव महादेव को जाता है. कहा जाता है शिव पुराण में लिखा हुआ है कि जब ब्रह्मा जी ने अपनी योग शक्ति से पुरुषों की उत्पति करनी आरंभ की, तो उसे बहुत वक्त लग रहा था. तब उन्होंने भगवान शिव ने अपनी काया के आधे भाग से नारी का सृजन किया और अर्धनारीश्वर रूप में प्रकट हुए. उनका यह स्वरूप न तो पूर्ण रूप से नारी का था ना पुरुष का था. माना जाता है इसी के बाद समाज में किन्नर की भी परिकल्पना हुई थी. यही कारण है कि किन्नरों को अच्छा व शुभ माना जाता है. कहा जाता है जब से मृत्युलोक होंद में आया तभी से कि‌न्नर भी आए. जिसकी पुष्टि पुराणों और पौराणिक कथाओं में होती है. बता दें कि किन्नर समाज का तीसरा वर्ग कहलाते हैं. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध ग्रह नपुंसक हैं, किन्नरों में इनका वास माना गया है. कहा जाता है बुधवार का दिन बुध ग्रह से संबंधित है और किन्नर भी बुध से संबंध रखते हैं इसलिए कहा जाता है कि अगर बुधवार के दिन किन्नर दिख जाए तो आपको किन्नर को धन दें, इसी के साथ इस दिन वह अगर आप पर प्रसन्न होकर खुद से आपको सिक्का या रूपए दे तो उसे लेने से मना बिल्कुल न करें. कहा जाता है उस सिक्के को संभालकर रखना चाहिए क्योंकि इससे अपने उज्जवल भाग्य का संकेत मिलने लगता है और आपका जीवन सफल हो जाता है. गरुड़ पुराण: जानिए किस पाप के लिए मिलती है कौन सी योनि आषाढ़ मास में राशिनुसार करें उपाय, हर मनोकामना होगी पूरी अगर आपके घर के सामने भी है यह चीज़ें तो आज ही हटा दें