क्या होती हैं प्रत्यास्थता ? जानते हुए भी आप भूल बैठे हैं

प्रत्यास्थता (Elasticity): प्रत्यास्थता पदार्थ का वह गुण है, जिसके कारण वस्तु, उस पर लगाए गए बाहरी बल से उत्पन्न किसी भी प्रकार के परिवर्तन का विरोध करती है तथा जैसे ही बल हटा लिया जाता है, वह अपनी पूर्व अवस्था में वापस आ जाती है.

प्रत्यास्थता की सीमा (Elastic limit): विरुपक बल के परिमाण की वह सीमा जिससे कम बल लगाने पर पदार्थ में प्रत्यास्थता का गुण बना रहता है तथा जिससे अधिक बल लगाने पर पदार्थ का प्रत्यास्थता समाप्त हो जाता है, प्रत्यास्थता की सीमा कहलाती है.

विकृति (strain): किसी तार पर विरूपक बल लगाने पर उसकी प्रांरभिक लंबाई L में वृद्धि l होती है, तो l/L की विक्ति कहते है.

प्रतिबल (stress): प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगाए गए बल को प्रतिबल कहते हैं.  प्ररत्यास्थता का यंग मापांक (young 's modulus of elasticity): प्रतिबल और विकृति के अनुपात को तार के पदार्थ की प्रत्यास्थता का यंग मापांक कहते हैं.  हुक का नियम (hooke's law): प्रत्यास्थता की सीमा में किसी बिंदु में उत्पन्न विकृति उस पर लगाए गए प्रतिबल के अनुक्रमानुपाती होती है.  यानी कि प्रतिबल x विकृति या , प्रतिबल/विकृति = E (एक नियतांक) = प्रत्यास्थता का गुणांक  प्रत्यास्थता गुणांक (E) का मान भिन्न-भिन्न होता है. इसका S.I. मात्रक न्यूटन मीटर ^-2 होता है. जिसे पास्कल कहते हैं.  यंग का प्रत्यास्थता गुणांक, Y = अनुदैधर्य प्रतिबल/अनुदैधर्य विकृति  यदि विकृति आयतन में हो तो उसे आयतन प्रत्यास्थता गुणांक (K) कहते हैं. अपरूपण विकृति (shear) के लिए इसे द्रढ़ता गुणांक (η) कहते है.

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