क्या होते हैं हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के अधिकार ?

नई दिल्ली: क्या किसी उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice) या एक्टिंग चीफ जस्टिस (Acting Chief Justice) अपनी प्रशासकीय वरिष्ठता के अधिकारों से अपीलीय यानी न्यायिक अधिकारों का अति कर सकते हैं? क्या किसी बेंच में सुने जा रहे मामले को बगैर किसी ठोस कारण के रातों रात दूसरी बेंच के पास सुनवाई के लिए भेज सकते हैं? इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पास एक याचिका आई है. 

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका कलकत्ता उच्च न्यायालय प्रशासन ने दायर की है. इस मुद्दे को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में काफी हलचल है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस कोर्ट का बॉयकॉट कर रखा है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मुख्य न्यायाधीश और एक्टिंग चीफ जस्टिस की प्रशासनिक भूमिका तय करने को लेकर शीर्ष अदालत में एसएलपी दाखिल की है. उच्च न्यायालय प्रशासन ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से एक विस्तृत गाइडलाइन बनाने की अपील की है.

न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य के एक आदेश को चुनौती देने वाली इस याचिका में कहा गया है कि अदालत के सभी न्यायाधीशों का दर्जा बराबर होता है, किन्तु चीफ जस्टिस उनमें पहले होते हैं. सामान्यतया चीफ जस्टिस मास्टर ऑफ रोस्टर होता है और प्रशासनिक मामलों में प्रमुख भूमिका में होता है, किन्तु अपीलीय मामलों में उनकी भूमिका वही रहती है जो अन्य साथी न्यायधीशों की है.

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