'औरंगज़ेब ने काशी-मथुरा के मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई तो क्या..', जारी विवाद पर मुस्लिम स्कॉलर का बड़ा बयान

नई दिल्ली: देश के जाने माने इतिहासकारों में से एक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के प्रोफेसर इरफान हबीब ने एक बार फिर ज्ञानवापी और मथुरा के मामले पर अपनी राय रखी है। इरफान हबीब ने कहा कि 300 वर्षों से उस जगह पर मस्जिद स्थित है। औरंगजेब ने भले ही वहां पर मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनवा दी हो, मगर क्या अब उन्हें तोड़कर वापस से मंदिर बनाया जाएगा? वो भी तब जब देश में संविधान लागू है। 

इतिहासकार ने आगे कहा कि जब यहां पर इस तरह की चीजें होती हैं, तो ऐसे कामों पर विश्व हसंता है। जो काम कभी औरंगजेब ने किया, वही  काम अब आप करोगे? फिर तो आपमें और औरंगजेब में क्या फर्क रहा। रही बात पुरातत्व विभाग की, तो यह सब बातें पहले ही इतिहास में दर्ज हैं। कई पारसी पुस्तकों में इन सब बातों का उल्लेख है कि क्या तोड़कर क्या बनाया गया। मगर, मुद्दा यह है कि 300 वर्षों से जो मस्जिद वहां पर मौजूद है, क्या उसे तोड़कर आप वापस उस स्थान पर मंदिर बनाएंगे ?

इरफान हबीब ने आगे कहा कि औरंगजेब ने भले ही काशी व मथुरा में मंदिरों की जगह मस्जिद बनवा दी, किन्तु यह बात भी तो सत्य है बीते 300 वर्षों से वहां पर मस्जिद खड़ी हुई है। अब ऐसे में क्या मस्जिदों को तोड़कर वापस से मंदिर बनाया जा सकता है ? यदि ऐसा किया गया, तो यह बेहद गलत और दुर्भाग्यपूर्ण होगा। क्योंकि, देश में संविधान लागू होने के बाद भी हम लोग इस तरह की चीज करेंगे तो औरंगजेब में और सरकार में क्या अंतर रह जाएगा।

इरफ़ान हबीब के शब्दों में कहें तो, क्या सरकार वही करना चाह रही है, जो औरंगजेब ने अपने समय पर किया ? कुछ लोग ताजमहल को लेकर भी उल्टी-सीधी बात कहते हैं। यह सब फालतू की बातें हैं। बता दें कि, काशी में ज्ञानवापी और मथुरा में शाही ईदगाह का मुकदमा अंग्रेज़ों के ज़माने से ही कोर्ट में चल रहा है, ब्रिटिशर्स ने भी माना था कि, वो जगह पर मंदिर था, मगर उन्होंने जगह देने कि जगह पूजा की अनुमति दे दी थी। 1993 में मुलायम सिंह सरकार द्वारा ज्ञानवापी में पूजा रुकवा दी गई, जिसे अदालत ने हाल ही में वापस शुरू करवाई है। 

अदालत में चल रहे मामले में, हाल ही में ज्ञानवापी में ASI सर्वे रिपोर्ट पर कोर्ट का एक फैसला भी आ गया है। जिसमें ज्ञानवापी की जगह बड़े हिंदू मंदिर होने के सबूत मिलने का दावा किया गया है। फिलहाल, ज्ञानवापी के व्यासजी के तहखाने में कोर्ट द्वारा पूजा की इजाजत दे दी गई है। इन सबके बीच इतिहासकार इरफान हबीब का कबूलनामा सामने आया है, जो मानते हैं की औरंगज़ेब ने काशी मथुरा में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी, हालाँकि, मुस्लिम पक्ष लगातार ये दावा करते रहा है कि मस्जिदें खली जमीन पर बनाई गई, क्योंकि इस्लाम किसी दूसरे के धर्मस्थल को तोड़कर वहां मस्जिद बनाने की इजाजत नहीं देता। अगर ऐसी किसी जगह पर मस्जिद बना भी दी जाए, तो वहां से अल्लाह नमाज़ कबूल नहीं करते। देखा जाए, तो इरफ़ान हबीब और मुस्लिम पक्ष के दावों में जमीन आसमान का अंतर है। वहीं, पुरातत्वविद केके मोहम्मद भी कहते हैं कि, हाँ ये मस्जिदें मंदिर तोड़कर बनाई गई, इसके सबूत मौजूद हैं, बस देखने की जरूरत है। मुहम्मद तो मुस्लिम पक्ष से ख़ुशी ख़ुशी ये दो स्थान हिन्दुओं को सौंपने की वकालत भी कर चुके हैं, पर उनकी बात नहीं सुनी जाती। बता दें कि, केके मुहम्मद वही हैं, जिन्होंने बाबरी कि खुदाई करके उसके नीचे मंदिर होने के सबूत अपनी आँखों से देखे थे। 

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