कोलकाता: पश्चिम बंगाल में SSC भर्ती घोटाले में संलिप्तता होने के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार के उद्योग मंत्री, पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को अरेस्ट कर लिया है। पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर की तलाशी के दौरान शुक्रवार को जांच एजेंसी ने 20 करोड़ रुपये से अधिक कैश बरामद किया था। इसके अलावा तक़रीबन 50 लाख रुपये का सोना, जमीन के दस्तावेज और कई अवैध संपत्तियां भी जब्त की गई हैं। बता दें कि SSC भर्ती घोटाले के आरोप के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय के जज अभिजीत गांगुली ने इस मामले की CBI जांच के आदेश जारी किए थे। CBI उनसे और मौजूदा शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी से पूछताछ भी कर चुकी थी, किन्तु जब इस मामले में वित्तीय लेनदेन का मामला सामने आया, तो ED ने इस मामले की जांच अपने हाथों में ली है। ED के हाथों में मामला आते ही देशभर में सियासी भूचाल आ गया है। दरअसल, जांच एजेंसी ने शुक्रवार को कोलकाता में पार्थ चटर्जी के करीबी माने जाने वालों के 13 ठिकानों पर छापेमारी की और अभिनेत्री अर्पिता चटर्जी के घर से करोड़ों रुपये नकद जब्त किए। क्या है बंगाल का SSC घोटाला :- यह मामला वर्ष 2018 में शुरू हुआ था, उस वक़्त पार्थ चटर्जी ममता बनर्जी सरकार में शिक्षा मंत्री के पद पर थे। तब 1002 ऐसे लोगों की नियुक्ति हुई थी, जिन्होंने या तो परीक्षा ही नहीं दी या परीक्षा पास नहीं कर सके। इस मामले के खिलाफ अदालत में याचिका दाखिल की गई थी। कलकत्ता हाई कोर्ट की बेंच ने पूरे मामले की जांच के लिए पूर्व जस्टिस रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने पार्थ चटर्जी समेत SSC के चेयरमैन सौमित्र सरकार, मध्य शिक्षा परिषद के चेयरमैन कल्याणमय गांगुली, SSC के सचिव अशोक कुमार साहा, पूर्व चेयरमैन सुब्रत भट्टाचार्य, आंचलिक चेयरमैन शर्मिला मित्रा, सुभोजित चटर्जी, शेख सिराजुद्दीन, महुआ विश्वास, चैताली भट्टाचार्य और बोर्ड के टेक्निकल ऑफिसर राजेश लायक को इस पूरे भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेवार ठहराया था और उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी। इसके साथ ही उस कमेटी ने राज्य के शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी का भी नाम लिया था, मगर इसके बावजूद बंगाल की ममता सरकार ने किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। शिक्षक नियुक्ति में घोटाला करने के आरोप में बबीता सरकार ने अदालत से फरियाद की और आरोप लगाया कि कम नंबर आने के बाद भी शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की पुत्री अंकिता अधिकारी को नौकरी दे दी गई। जस्टिस अभिजीत गांगुली की अदालत ने फ़ौरन फरियाद पर कार्रवाई की और पूरे मामले की CBI जांच का आदेश दिया और मंत्री अंकिता अधिकारी को बेटी को नौकरी से निकाल दिया, साथ ही अदालत ने उन्हें उनका पूरा वेतन लौटाने का निर्दश दिया। वहीं, जब इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हुई, तो ED ने जांच के क्रम में परेश अधिकारी के घर पर शुक्रवार को छापेमारी की। इस मामले में पार्थ चटर्जी के पूर्व सहायक सुकांत आचार्य भी रडार पर हैं। ED उनसे और तात्कालीन सचिव मनीष जैन से भी पूछताछ कर चुकी है। इस प्रकार बंगाल के शिक्षा विभाग से संबंधित प्रत्येक अधिकारी और मंत्री इस मामले में ED के राडार पर है। सवाल ममता बनर्जी पर भी उठ रहे हैं, जिन्होंने दोषियों का पता होने पर भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। हिन्दुओं और ईसाईयों की हत्या की बात करने वाले PFI का साथ क्यों दे रही केरल पुलिस ? 'बारूद' के ढेर पर बंगाल, उत्तर 24 परगना से फिर मिले 15 जिन्दा बम 'मुस्लिम छात्र' ने किया नूपुर शर्मा का समर्थन, पैगम्बर को लेकर भी कह दी बड़ी बात