क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज (COPD) फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, यह बीमारी समय से पहले मौत के प्रमुख कारणों में तीसरे नंबर पर आती है। 2019 में इसके कारण दुनियाभर में 32 लाख लोगों की मौत हुई थी। यह एक क्रोनिक (दीर्घकालिक) स्थिति है, जिसका मतलब है कि एक बार यह बीमारी हो जाए तो पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती। इसे केवल मैनेज और फैलने से रोका जा सकता है। COPD के लक्षण: COPD में फेफड़े कमजोर हो जाते हैं और सांस लेने में कठिनाई होती है। इसे कभी-कभी क्रोनिक ब्रोंकाइटिस भी कहा जाता है। इस बीमारी में सांस फूलने की समस्या होती है और कमजोर फेफड़ों में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। गंभीर मामलों में जान का भी खतरा हो सकता है। धुआं और प्रदूषण से भी फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। COPD के कारण: COPD के लक्षण जैसे खांसी, बलगम, और सांस फूलना लंबे समय तक रहते हैं और समय के साथ गंभीर हो सकते हैं। इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण स्मोकिंग (धूम्रपान) है। लगभग 46% लोग इसी वजह से प्रभावित होते हैं। वायु प्रदूषण भी एक प्रमुख कारण है, जो 21% लोगों को प्रभावित करता है। इसके अलावा, कारखानों और चूल्हों से निकलने वाले धुएं से भी COPD हो सकता है। हमारे फेफड़ों में छोटे-छोटे वेसिकल्स (अल्वियोली) होते हैं, जो हवा को सोखते हैं। धुआं और प्रदूषण इन वेसिकल्स में सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे वे ब्लॉक हो जाते हैं और COPD का खतरा बढ़ जाता है। COPD का इलाज: COPD का इलाज जल्दी शुरू करने पर बेहतर परिणाम मिलते हैं। यह बीमारी एक दिन में नहीं होती, बल्कि धीरे-धीरे विकसित होती है। इसके लक्षण दिखाई देने पर तुरंत जांच करवा कर इसे कंट्रोल किया जा सकता है। चूंकि यह एक क्रोनिक बीमारी है, इसलिए इलाज भी लंबा चलता है। फेफड़ों की सूजन कम करने के लिए डॉक्टर एंटी-इंफ्लेमेटरी स्टेरॉयड देते हैं और इंफेक्शन से बचाने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। गंभीर मामलों में सर्जरी की भी आवश्यकता हो सकती है। क्या है भाजपा सरकार की 'सुभद्रा' योजना ? पंजीकरण के लिए उमड़ी महिलाओं की भीड़ ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर के ख़राब होने पर निकल रहा लोगों का गुस्सा जाट-दलित वोटों के जरिए मिलेगी सत्ता ? हरियाणा में दिख रहा INLD-BSP गठबंधन का असर