आतंकवाद, यह एक ऐसा शब्द है जो कई प्रकार का है जैसे राजनीतिक आतंकवाद ,धार्मिक आंतकवाद ,आर्थिक आतंकवाद, और इन्ही में शामिल है Eco Terrorism यानि पर्यावरण आतंकवाद। पर्यावरण आतंकवाद एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में बहुत कम लोग बात करते हैं लेकिन यह मुद्दा आज के समय में सबसे अहम मुद्दा है। अगर इस मुद्दे पर हम बात करने से बचेंगे या कतराएंगे तो आगे जाकर यह हमारी आने वाली पीढ़ी को केवल और केवल दर्दनाक अंत देगा और कुछ नहीं। आजकल लोग पर्यावरण को राजनीतिक कारणों के लिए उपयोग कर रहे हैं। पर्यावरण यानि प्रकृति के प्रति हिंसा बढ़ती ही चली जा रही है और इसे रोकने के लिए हमें ही कदम उठाने होंगे। अगर हम नहीं बोलेंगे तो एक दिन ऐसा आएगा जब इस धरती पर कुछ नहीं होगा, ना पेड़, न जानवर और ना हम! क्या होता है पर्यावरण आतंकवाद - Eco-terrorism यानि पर्यावरण आतंकवाद उसे कहा जाता है जिसमे प्राकृतिक वातावरण के विनाश के विरुद्ध प्रतिरोध होता है और प्राकृतिक जगत को जान-बूझकर क्षति पहुंचाई जाती है। एक ऐसा आतंकवाद जिसमे केवल प्रकृति को नुकसान पहुंचाया जाता है, कभी आग से तो कभी किसी अन्य चीज से। उदाहरण के लिए साल 1991 के खाड़ी युद्ध के दौरान सद्दाम हुसैन ने 1000 से अधिक तेल के कुओं को विस्फोट से उड़ाने का आदेश दिया था और कुवैत को धुंआ-धुंआ कर दिया था। इस तरह उसने जानबूझकर पर्यावरण को हानि पहुंचाने का काम किया था और इसी कार्य को पर्यावरण आतंकवाद के नाम से जाना जाता है। कैसे खतरे में हैं पर्यावरण- प्रमाणित कंपोस्टेबल उत्पादों के बारे में बात करें तो यह केवल 90 दिनों में नष्ट हो जाते हैं, लेकिन आप शायद ही यह जानते होंगे कि प्लास्टिक जैसे नॉन कंपोस्टेबल चीजों को नष्ट होने में सबसे अधिक समय लगता है और यह पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाते हैं। एक प्लास्टिक बोतल के बारे में बात करें तो उसे नष्ट होने में 70 से 450 साल तक का समय लगता है। यानी उसके नष्ट होने तक आपकी मौत हो जाएगी और आपकी आने वाली पीढ़ियों को यह एक तरह से मौत के मुंह में धकेल देगी। अब अगर हम बात करें प्लास्टिक बैग के बारे में तो इसको नष्ट होने में 500 से 1000 साल तक का समय लगता है और यह भी एक तरह का पर्यावरण आतंकवाद है। अगर टीन कैन के बारे में बात करें तो उसको नष्ट होने में 50 साल तक का समय लग जाता है और इससे आप समझ सकते कि आज के समय में इन चींजों को बैन करना कितना जरुरी है और इसके चलते कितनी तेजी से पर्यावरण आतंकवाद फैलता चला जा रहा है। फाइव स्टार और अन्य होटल के कारण भारत मे हर दिन करीब 4 लाख पानी की बोतल का कूड़ा निकलता है और आप खुद समझ सकते हैं कि इसको खत्म होने में कितने सालों का समय लग सकता है। हमारे भारत देश में कूड़े और इससे रिसता लीचेत (डंप कूड़े के सड़ने से निकला तरल पदार्थ) कैंसर का कारण बन रहा है। हमे ही बनना होगा पर्यावरण आतंकवाद के खात्मे का जरिया- आजकल लोग पर्यावरण आतंकवाद के बारे में जानने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं और ना ही इसे खत्म करने के लिए कोई कदम उठाते हैं। आजकल व्यक्ति यही चाहता है कि बस अपना काम हो जाए बाकी दुनिया से कोई मतलब नहीं! लेकिन हमे सोचना होगा और हमे ही करना होगा पर्यावरण आतंकवाद का खात्मा। हमे प्लास्टिक के उपयोग न करने से लेकर प्रकृति की हर एक चीज का ध्यान रखना होगा। पेड़-पौधों का ध्यान रखना होगा क्योंकि अगर यह हम नहीं करेंगे तो एक समय ऐसा आएगा जब हर तरफ केवल मौत का मंजर होगा और हम हाथ पर हाथ रखकर केवल देख सकेंगे, कुछ कर नहीं सकेंगे। कुछ ऐसे लोग भी हैं दुनिया में जो केवल अपने फायदे के लिए पेड़ों को और प्रकृति की हर एक चीज को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कोई पेड़ों में आग लगा रहा है तो कोई अपने फायदे के लिए कुओं को खत्म कर रहा है, वहीं कारखानों से निकलने वाला धुंआ भी पर्यावरण को मुसीबत में डाल रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आगे क्या होगा ये आप सोच भी नहीं सकते! धीरे-धीरे दुनिया मौत के मुंह में जा रही है और इसे बचाने के लिए हमे ही कदम उठाने होंगे। हमारे कदम उठाने के साथ ही हमे अपनी आने वाली पीढ़ी को प्रकृति को बढ़ाने और बचाने के लिए प्रेरित करना होगा और ऐसी शिक्षा देनी होगी कि वह पर्यावरण आतंकवाद को समझे और उसे खत्म करने करने का प्रण ले। दूसरी पत्नी से शादी से पहले शम्मी कपूर ने रखी थी ऐसी शर्त कि चौंक गया था हर व्यक्ति कांग्रेस ने फिर दोहराई जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग जातिसूचक शब्द मामले में युविका चौधरी ने तोड़ी चुप्पी, कहा- पुलिस ने मुझसे।।।