जानिए क्या होती है हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग

माता-पिता और बच्चों के बीच का रिश्ता बहुत गहरा और खास होता है। इसमें प्यार, चिंता, मस्ती, और मजाक सब कुछ होता है। लेकिन कभी-कभी माता-पिता अपने बच्चों की ज़िंदगी में जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप करते हैं, जो बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। आजकल "हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग" एक चर्चा का विषय बन गया है। आइए जानें कि हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग क्या है।

हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग की परिभाषा

हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग तब होती है जब माता-पिता अपने बच्चों की ज़िंदगी में बहुत ज़्यादा दखलअंदाजी करते हैं। वे हर समय बच्चों के आस-पास रहते हैं और उनकी छोटी-बड़ी समस्याओं का समाधान खुद ही निकालते हैं। यह आदत तब होती है जब माता-पिता अपने बच्चों को बाहरी दुनिया से बचाने की कोशिश करते हैं और उनके फैसलों में हस्तक्षेप करते हैं।

बाहरी दुनिया से बच्चों का बचाव

अगर माता-पिता अपने बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं और किसी भी समस्या का समाधान खुद ही निकालते हैं, तो यह हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग का संकेत है। वे बच्चों को निर्णय लेने का मौका नहीं देते और उनकी भावनाओं को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं। इससे बच्चों पर बुरा असर पड़ सकता है।

हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग का बुरा प्रभाव

हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के कारण बच्चों में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। वे खुद से निर्णय नहीं ले पाते और किसी भी परेशानी का हल निकालने में असमर्थ होते हैं। इससे उनका तनाव और प्रेशर बढ़ जाता है। इसके अलावा, बच्चों के सामाजिक कौशल का विकास भी नहीं हो पाता। हर माता-पिता को अपने बच्चों को थोड़ी स्वतंत्रता देनी चाहिए और उन्हें खुद निर्णय लेने का मौका देना चाहिए। इससे बच्चे आत्मनिर्भर बनते हैं और आत्मविश्वास से भरपूर होते हैं। हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग से बचकर, माता-पिता को बच्चों को सही मार्गदर्शन देना चाहिए, ताकि वे खुद को विकसित कर सकें और जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकें।

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