मशहूर दिवंगत गायक सिद्धू मूसेवाला की मां अगले महीने बच्चे को जन्म देने वाली हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, मूसेवाला की मां ने 58 वर्ष की आयु में प्रेग्नेंसी के लिए IVF तकनीक का सहारा लिया है. हालांकि, इसको लेकर अभी तक उनके माता-पिता की ओर से कोई ऑफिशियल बयान नहीं सामने आया है. बता दें कि गायक सिद्धू मूसेवाला अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे. मई 2022 में उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. इसकी जिम्मेदारी लॉरेंस विश्नोई गैंग ने ली थी. सिद्धू मूसेवाला की मां की प्रेग्नेंसी की खबर से कई लोग हैरान भी हैं. लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या 50 वर्ष से ऊपर की आयु की महिलाएं IVF के माध्यम से बच्चा कंसीव कर सकती हैं. यदि ऐसा हो सकता है तो यह उनके लिए कितना सुरक्षित है तथा क्या सावधानियां बरतनी आवश्यक है. इनके जवाब ढूंढने से पहले IVF के बारे में अच्छी प्रकार से जानना आवश्यक है. क्या है IVF? IVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन. इसे आम भाषा में टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहा जाता है. इस तकनीक में महिला की अंडेदानी से अंडे निकालकर उनका पुरुष के स्पर्म के साथ फैलोपियन ट्यूब में फर्टिलाइजेशन कराया जाता है. फिर फर्टिलाइजेशन से बनने वाले भ्रूण यानी एम्ब्रायो को महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है. यह उन महिलाओं के लिए वरदान सिद्ध हुआ है जो नेचुरल तौर पर बच्चा कंसीव नहीं कर सकती हैं. 50 के पार किसी भी महिला के गर्भधारण करने की संभावना बहुत कम रहती है क्योंकि इस समय उनमें पीरियड्स साइकिल बनना बंद हो जाता है. हालांकि, IVF के माध्यम से 50 की आयु पार कर चुकी महिलाएं मां बन रही हैं. इसके लिए उन्हें हार्मोनल इंजेक्शन देकर उनकी गर्भाशय को सक्रीय किया जाता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस उम्र में यदि महिला मां बनना चाह रही है तो उसे पूरा बॉडी चेकअप अवश्य कराना चाहिए. इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि महिला किसी स्वास्थ्य समस्या से तो नहीं जूझ रही है, जो बच्चा कंसीव करने की उसकी क्षमता को प्रभावित कर सकता है. इसके साथ ही ओवरीज, यूटेरस सहित सभी रिप्रोडक्टिव अंगों की जांच भी करा लेनी चाहिए. इसमें ओवरियन ग्रंथियां, गर्भाशय का स्वास्थ्य प्रमुख है. दरअसल, थोड़े बहुत कांप्लिकेशन भी महिला के लिए खतरा सिद्ध हो सकते हैं. डायबिटीज, बीपी एवं ब्लड टेस्ट भी कराए जाने चाहिए. इसके अतिरिक्त उस महिला का पहले की गर्भावस्था के चलते कोई कांप्लिकेशन, क्रोमोसोमल एब्नॉर्मिलिटी एवं मिसकैरेज का इतिहास रहा है, यह जानकारी भी सामने आनी चाहिए. ये सब स्थितियां महिला के लिए गर्भावस्था में खतरा सिद्ध हो सकती हैं. महिला की शारीरिक के अतिरिक्त मानसिक स्थिति का भी अवलोकन होना चाहिए वह IVF के माध्यम से मां बनने को तैयार है कि नहीं. इन सब चीजों के साथ-साथ IVF के वक्त महिला को आने वाली सभी प्रकार की परिस्थितियों के बारे में फर्टिलिटी एक्सपर्ट से अच्छे तरीके से विस्तार से बात कर लेनी चाहिए. वही यदि आप 50 की आयु पार कर चुकी हैं तथा IVF के माध्यम से मां बनने का प्लान कर रही हैं तो एक दिक्कत आपके साथ ये आ सकती है कि बढ़ती आयु के साथ आपके अंडेडानी में अंडों की संख्या एवं उसकी क्वालिटी कम हो जाती है. ऐसे स्थिति में महिला एग डोनर का विकल्प चुन सकती है. किसी अन्य महिला से एग ले सकती है. इसमें एक युवा एग डोनर के अंडे को महिला के साथी के शुक्राणु से फर्टिलाइज कराया जाता है तथा गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है. वही इसके अतिरिक्त एक विकल्प यह भी आया कि महिलाएं अब 30 से 40 वर्षों के बीच में अपने एग फ्रीज करा ले रही हैं तथा फिर अपने मनमुताबिक समय पर IVF के माध्यम से कंसीव कर रही हैं. इन सबसे इतर एक संभावना ये भी हो सकती है कि आपको अपने पुरुष साथी की प्रजनन क्षमता के बारे में चिंताएं हैं तो इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) का विकल्प चुनते हैं. इसमें लैब में किसी शख्स के शुक्राणु को महिला के एग में इंजेक्ट कराया जाता है. एक्सपर्ट के अनुसार, IVF थोड़ी मुश्किल प्रक्रिया होती है. इस प्रोसेस से लेकर बच्चे को जन्म देने तक महिला को बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है. इस के चलते एक से ज्यादा बच्चे, प्रीमैच्योर डिलीवरी, ओवरिअन हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम,गर्भपात, संक्रमण का खतरा, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी, तनाव जैसे हालात उत्पन्न हो सकते है. गलत समय पर ब्रेकफास्ट करने के ये हैं नुकसान, जानिए क्या है ब्रेकफास्ट करने का सही टाइम? क्या खड़े रहने से भी कम हो सकता है वजन? इन लोगों को नहीं खाना चाहिए मखाना, बढ़ सकती हैं परेशानी