आप जानते ही होंगे कि साल में 12 संक्रांतियां होती हैं, हर किसी का अपना महत्‍व है लेकिन इन सभी में से मेष संक्रांति का खास महत्‍व माना गया है. जी हाँ, इस संक्रांति में सूर्यदेव का प्रवेश मीन राशि से मेष राशि में होता है और यह एक कारण है कि इसे मेष राशि के नाम से जाना जाता है. आप सभी को बता दें कि इस बार सूर्य का मीन से मेष राशि में प्रवेश 15 अप्रैल को हो रहा है. अब आज हम आपको बताते हैं कि इससे क्‍या-क्‍या बदलाव आएंगे और इस संक्रांति का इतना महत्‍व क्‍यों है? जी दरअसल मेष संक्रांति इस साल इस राशि के जातकों के लिए तमाम सफलताएं लेकर आई है और परीक्षा और प्रतियोगिता में प्रयासरत जातकों के लिए सफलता के योग बन रहे हैं तो घर-परिवार में मांगलिक कार्यों की प्रबल संभावना है. इसी के साथ इस राशि वालों को संतान प्राप्ति का सुख मिलेगा तो लंबी यात्राओं के भी योग हैं. केवल इतना ही नहीं तीर्थदर्शन का भी सुअवसर भी इन्हे मिल सकता है. इस संक्रांति के मौके पर सूर्य की उपासना का विधान है इसी के साथ ही मेष संक्रांति के चार घंटे पहले और चार घंटे बाद पुण्‍यकाल माना जाता है. कहते हैं इस काल में दान करने से सूर्य की विशेष कृपा का फल मिलता है और इसके अलावा सूर्य की पूजा करके गुड़ और सत्‍तू का प्रसाद वितरित करके खुद भी इसी प्रसाद का भोग करने से सूर्यदेव प्रसन्‍न होते हैं और पूरे साल उनकी कृपा बनीं रहती है. कहा जाता है मेष संक्रांति भारत के कई राज्‍यों में मनाई जाती है और हर जगह इसका नाम बदल जाता है. आज के दिन भगवान सूर्य के अलावा शक्ति स्‍वरूपा मां काली, भगवान शिव और भगवान विष्‍णु की आराधना करने से किसी भी तरह का भय नहीं होता है. ससुराल को अमीर बना देती है इस नाम की लडकियां अगर आपको दिख जाए ऐसी लाल चींटियों की कतार तो समझ लीजिए होने वाले हैं मालामाल नहीं कर पा रहे हैं दुर्गा सप्तशती का पाठ तो इस पाठ को करके ले लाभ